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H3N2 Alert: So Viral That Patients Have To Be Given Oxygen Support

by amitsagar
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एच3एन2 अलर्ट : इतना जबरदस्त वायरल कि देनी पड़ रही मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट


By: Inextlive | Updated Date: Thu, 23 Mar 2023 07:20:03 (IST)




एच3एन2 अलर्ट के बीच में आगरा में वायरल का संक्रमण तेजी से बढ़ता जा रहा है. आगरा में एच3एन2 की ऑफिशियली कोई पुष्टि नहीं हुई है. लेकिन वायरल के मरीजों की हालत गंभीर हो रही है. उन्हें सर्दी-जुकाम व बुखार से शुरू हुई बीमारी निमोनिया और एक्यूट रैस्पिरेटरी इलनेस(एआरआई) तक जा रही है. मरीजों को सांस लेने में तकलीफ होने पर एडमिट करना पड़ रहा है. वहीं कुछ मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट भी देना पड़ रहा है.

आगरा(ब्यूरो)। वायरल का संक्रमण इतनी तेजी से फैल रहा है कि इससे न तो युवा बच पा रहे हैैं और न ही बच्चे और बुजुर्ग। सभी को सीजनल वायरल अपनी चपेट में ले रहा है। बच्चे और बुजुर्गों को निमोनिया हो रहा है। हालात यह हैैं कि एसएन मेडिकल कॉलेज का इमरजेंसी वार्ड वायरल के मरीजों से ही फुल हो गया है। यहां पर मरीजों की हालत गंभीर होने पर एडमिट करना पड़ रहा है। वहीं टीबी एंड चेस्ट वार्ड में भी यहीं हालात है।

एसएन मेडिकल कॉलेज के टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट डॉ। संतोष कुमार ने बताया कि वायरल संक्रमण से मरीजों को हाईग्रिड फीवर, सर्दी-जुकाम, खांसी हो रही है। कुछ ही दिन में मरीजों को फेंफड़ों तक इंफेक्शन हो रहा है। कई मरीजों को निमोनिया की शिकायत हो रही है। वायरल मरीजों में आने वाले 15 से 20 परसेंट मरीजों को एआरआई की शिकायत हो रही है। इस कारण मरीजों को एडमिट करने की नौबत आ रही है। कई मरीजों को तो ऑक्सीजन सपोर्ट भी देना पड़ रहा है। जिन मरीजों को पहले हिस्ट्री रही है ऐसे मरीजों को वेंटिलेटर सपोर्ट भी देना पड़ रहा है। मरीजों को एंटीवायरल दवाएं देनी पड़ रही हैैं। लेकिन अभी तक कोई भी कैजुअलिटी नहीं हुई है।

कोविड की तरह करें बचाव
डॉ। संतोष ने बताया कि वायरल संक्रमण में कोविड-19 जैसे ही लक्षण हैैं। हाईग्रिड फीवर, सर्दी-जुकाम, खांसी, उल्टी-दस्त, सांस फूलना जैसे लक्षण सामने आ रहे हैैं। वायरल संक्रमण भी एक-दूसरे के संपर्क में आने से फैल रहा है। इसलिए इससे बचाव के लिए कोविड-19 में किए गए बचाव के फॉर्मूले को ही अपनाएं। सभी लोग मास्क पहनें। यदि कोई घर में बीमार हो रहा है तो परिवार के अन्य सदस्य बचाव करें। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। हाथों को साफ करते रहें।

अपनी मर्जी से न लें दवा
एसएन मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ। प्रभात अग्रवाल ने बताया कि वायरल संक्रमण में अपनी मर्जी से कोई दवा न लें। इससे और अधिक नुकसान हो सकता है। कई मरीज पहले से एंटीबायोटिक का सेवन करके आ रहे हैैं। इससे वायरस और अधिक मजबूत हो जाता है और मरीजों पर दवाओं का असर नहीं होता है। यदि किसी को बुखार आता है तो वह केवल पैरासिटामोल का ही सेवन करें। यदि दो दिन तक बुखार न उतरे तो मेडिकल कॉलेज आकर दिखाएं।

यह सामने आ रहे लक्षण
हाईग्रिड बुखार
खांसी
गले में खराश
बहती या भरी हुई नाक
शरीर में दर्द
सिरदर्द
ठंड लगना
थकान होना
उल्टी होना

इस सिचुएशन में करना पड़ रहा एडमिट
सांस फूलना
हाईग्रिड फीवर होना
निमोनिया होना
घबराहट होना

इन उपायों को अपनाएं
-अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन और पानी से धोकर साफ करें।
-बीमार लोगों के संपर्क में आने से बचें
-छींकते या खांसते समय अपने मुंह या नाक को टिश्यू या अपनी कोहनी से ढंक लें
-अपने चेहरे को अनावश्यक रूप से छूने से बचें, खासकर आंख, नाक और मुंह।
-लोगों से मिलने जाते समय या किसी भी भीड़भाड़ वाली जगह जैसे शॉपिंग सेंटर या अस्पताल में जाते समय, कृपया फेस मास्क का उपयोग करें
-वायरस से दूषित सतह को न छुएं और फिर अपने मुंह या नाक को छूएं।

यह करें
मास्क लगाएं
भीड़-भाड़ से बचें
हाथों को साफ करते रहें
मच्छरदानी का प्रयोग करें
ठंडी चीजें न लें
एसी एकदम से न चलाएं
पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें
मौसम ठंडा होने पर गर्म कपड़े पहनें
अच्छा खाना खाएं
पानी खूब पिएं

वायरल संक्रमण में 15 से 20 परसेंट मरीजों को एक्यूट रैस्पिरेटरी इलनेस हो रही है। इससे मरीजों का श्वसन तंत्र प्रभावित हो रहा है। मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट देना पड़ रहा है। कई मरीजों को वेंटिलेटर की भी जरुरत पड़ रही है।
– डॉ। संतोष कुमार, एचओडी, टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट, एसएनएमसी

वायरल के मरीजों की संख्या काफी बढ़ रही है। मेडिकल कॉलेज में कई मरीजों को एडमिट करना पड़ रहा है। इमरजेंसी डिपार्टमेंट के वार्ड इस कारण फुल हैैं। अन्य वार्डों में भी मरीज एडमिट हैैं।
– डॉ। प्रशांत गुप्ता, प्रिंसिपल, एसएनएमसी

मरीज वायरल संक्रमण होने पर अपनी मर्जी से दवाएं न लें। बुखार आने पर केवल पैरासिटामोल लें। बुखार में आराम न हो तो डॉक्टर को दिखाएं। मेडिकल कॉलेज में सभी सुविधाएं उपलब्ध हैैं।
– डॉ। प्रभात अग्रवाल, प्रोफेसर, मेडिसिन विभाग, एसएनएमसी

20 परसेंट मरीजों को हो रही एआरआई की समस्या
45 बेड हैैं टीबी एंड चेस्ट वार्ड में
50 बेड हैैं इमरजेंसी डिपार्टमेंट में

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