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प्रदेश सरकार और भाजपा के स्थानीय नेतृत्व द्वारा यमुना की उपेक्षा और उसके प्रति उदासीनता गंभीर ङ्क्षचता का विषय है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश को तीन दशक से अधिक होने के साथ ही हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए जा चुके हैं. लेकिन न तो यमुना प्रदूषण मुक्त हुई और न उसका जलस्तर बढ़ा. यमुना की पीर हरने के सभी अपने वादे भूल गए हैं.
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