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सुबह-सुबह गौरैया की चीं-चीं की आवाज के साथ जागना दिन को और भी खुशनुमा मना देती थी, यह दौर 30 साल पहले तक था. वर्तमान में आज हालात बदतर हैं. मोबाइल रेडिएशन और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण गौरैया हमसे रुठ गई है. घर आंगन में खुद अपने वाली गौरैया अब दिखाई नहीं देती.
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