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विश्व निमोनिया दिवस
– फोटो : istock
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निमोनिया को हल्के में नहीं लेना चाहिए, यह जानलेवा हो सकता है। इसके लक्षण हल्के और गंभीर दोनों हो सकते हैं। इस बीमारी के प्रति जागरूक रहने की जरूरत है। खासतौर पर बदलते मौसम में बचाव जरूरी है। समय पर निमोनिया के लक्षणों को पहचान कर इलाज शुरू हो तो यह ठीक हो जाता है।
आगरा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि निमोनिया बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से होता है। बैक्टीरिया नाक और मुंह के जरिये फेफड़ों में प्रवेश करते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो तो शरीर इन बैक्टीरिया को निष्प्रभावी कर देता है। क्षमता कमजोर होने पर बैक्टीरिया हावी हो जाते हैं। एक ही समय में एक या दोनों फेफड़ों को प्रभावित कर सकते हैं। कई बार यह शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित कर सकता है।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. संजीव वर्मन ने बताया कि निमोनिया दो तरह के होते हैं। पहला लोवर निमोनिया और दूसरा ब्रोंकाइल निमोनिया है। लोवर निमोनिया फेफड़ों के एक या ज्यादा हिस्सों को प्रभावित करता है। ब्रोंकाइल निमोनिया दोनों फेफड़ों के पैचेज को प्रभावित करता है। निमोनिया से बच्चों को बचाने के लिए पीसीवी का टीका जरूर लगवाना चाहिए।
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