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हेपेटाइटिस
– फोटो : istock
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झोलाछाप के इलाज और पैथोलॉजी लैब में जांच कराने से लोग अनजाने में हेपेटाइटिस बी और सी के रोगी बन रहे हैं। एसएन मेडिकल कॉलेज में राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीएचसीपी) में हर साल 2.25 फीसदी नए मरीज मिल रहे हैं। पूछताछ में इन्होंने झोलाछाप से जांच और इलाज कराने की जानकारी दी।
एनवीएचसीपी प्रभारी अधिकारी डॉ. आरती अग्रवाल ने बताया कि लैब में 26601 मरीजों की जांच हुई, जिसमें 597 मरीजों में हेपेटाइटिस बी और सी मिला। इनमें 377 को हेपेटाइटिस बी और 220 को हेपेटाइटिस सी मिला। पूछताछ में 90 फीसदी मरीजों ने बीमार होने पर बिना मानक वाली लैब में खून की जांच, दलाल से रक्त की व्यवस्था करते हुए झोलाछाप से सर्जरी समेत इलाज कराने की जानकारी दी। इनके यहां उपकरण दूषित होने और बिना मानक वाली ब्लड बैंक से रक्त चढ़ाने से इनको ये बीमारी लगी। 10 फीसदी में बीमारी की वजह असुरक्षित यौन संबंध रहे। बीमारी के लक्षण नजर आने पर इलाज के लिए आए, जिसमें हेपेटाइटिस की जानकारी हुई।
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