[ad_1]
वर्तमान में 220 महिलाएं बैकयार्ड पोल्ट्री फार्म से मुनाफा कमा रही हैं। वहीं सामुदायिक पोल्ट्री फार्म में बनी दो मदर यूनिट का संचालन उजाला नोडल उत्पादक समूह और रोशनी महिला संकुल स्तरीय समूह द्वारा किया जा रहा है। गांव की बेरोजगार महिलाओं के लिए बैकयार्ड पोल्ट्री एक बेहतर रोजगार बनकर सामने आई है। धीरे-धीरे अन्य महिलाएं भी इससे जुड़कर आत्मनिर्भर बनने लगी हैं।
प्रत्येक माह सामुदायिक पोल्ट्री फार्म में पांच हजार चूजे डाले जाते हैं। औसतन ये चूजे एक लाख रुपये के आते हैं। यहां 28 दिन तक उनकी देखभाल की जाती है। इसके बाद समूह की महिलाओं को बैकयार्ड पोल्ट्री के लिए 80 रुपये में एक चूजा दिया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया से सामुदायिक पोल्ट्री फार्म का संचालन करने वाली महिलाओं को औसतन छह से सात हजार रुपये की आमदनी प्रति माह प्रति महिला हो जाती है।
सामुदायिक पोल्ट्री फार्म से 28 दिन के चूजे महिलाएं बैकयार्ड पोल्ट्री के लिए लेती हैं। उन्हें दो हजार रुपये में 25 चूजे दिए जाते हैं। वे पांच माह तक घर में रखकर उनकी देखभाल करती हैं। इसके बाद मुर्गी अंडे देना शुरू कर देती हैं। इससे प्रतिमाह लगभग चार हजार रुपये की आमदनी होती है। वहीं धीरे-धीरे मुर्गों की बिक्री से भी दो हजार रुपये तक आमदनी हो जाती है। ऐसे में बैकयार्ड पोल्ट्री से भी महिलाओं को पांच से छह हजार रुपये प्रतिमाह का फायदा हो रहा है।
[ad_2]
Source link