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– फोटो : istock
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आगरा में ट्रांसपोर्ट कंपनी से माल की कीमत लेने के लिए एक बुक स्टॉल की महिला संचालक को 28 साल कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। मामला पहले जिला उपभोक्ता आयोग फिर राज्य उपभोक्ता आयोग में पहुंचा। राज्य उपभोक्ता आयोग ने जिले के फैसले को बरकरार रखते हुए ट्रांसपोर्ट कंपनी की अपील खारिज कर दी। शनिवार को महिला को 59 हजार रुपये का चेक सौंपा गया।
मानपाड़ा, कोतवाली निवासी स्नेहा गांधी की बुक स्टॉल की दुकान है। उनके अधिवक्ता भोला नाथ गांधी ने बताया कि स्नेहा ने वर्ष 1995 में रायपुर से किताबें मंगवाई थी। इसके लिए गोल्डन ट्रांसपोर्ट कंपनी से गाड़ी की थी। माल की कीमत 7566 रुपये थी। समय पर माल पहुंचना था लेकिन माल नहीं आया। कंपनी के लोगों से संतोषजनक जवाब नहीं मिला। अधिवक्ता के माध्यम से भेजे विधिक नोटिस का भी जवाब नहीं दिया।
उन्होंने वर्ष 1996 में जिला उपभोक्ता आयोग में वाद दायर किया। मार्च 2000 में उपभोक्ता आयोग ने स्नेहा के पक्ष में फैसला सुनाया। गोल्डन ट्रांसपोर्ट कंपनी को माल की कीमत एवं 18 प्रतिशत ब्याज सहित रकम अदा करने के आदेश दिए। दो माह में रकम अदा नहीं करने पर 18 प्रतिशत की जगह 24 प्रतिशत ब्याज सहित रकम देने के आदेश किए। गोल्डन ट्रांसपोर्ट कंपनी ने राज्य उपभोक्ता आयोग, लखनऊ में अपील दायर की।
आयोग ने अपील खारिज कर जिला उपभोक्ता आयोग के फैसले को बरकरार रखा। इस पर स्नेहा गांधी के अधिवक्ता ने कोर्ट में प्रार्थनापत्र दिया। ट्रांसपोर्ट कंपनी की तरफ से रकम अदा की गई। शनिवार को जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग प्रथम के अध्यक्ष सर्वेश कुमार और सदस्य अरुण कुमार ने उन्हें 59 हजार रुपये का चेक दिया।
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