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68 साल पहले लीक हुआ था बजट
– फोटो : अमर उजाला
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लोकसभा चुनाव से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट बृहस्पतिवार को पेश किया। 68 साल पहले एक ऐसा बजट भी पेश किया गया जो पहले ही लीक हो गया। संसद में पेश होने से एक दिन पहले ही बजट के प्रमुख अंश वर्ष 1956 में लीक हो गए थे, जिसके बाद कपड़ा, साबुन और तेल की फैक्टरियों और गोदामों से रातोंरात स्टॉक खत्म हो गया। रात में ही भारी-भरकम खरीद हुई, जिस पर कांग्रेस के तत्कालीन सांसद नरहरि विष्णु गाडगिल ने बजट लीक होने पर सवाल उठाए थे।
अमर उजाला आर्काइव के पुराने पन्नों में बजट लीक होने की खबरें प्रकाशित हैं। 1956 में तत्कालीन वित्त मंत्री पर कांग्रेस सांसद गाडगिल ने सवाल उठाते हुए संसद में कहा था कि बजट लीक होने से रात में ही अहमदाबाद, शोलापुर, मुंबई आदि शहरों की कपड़ा, तेल और साबुन फैक्टरियों में माल बिक गया। बजट में इन तीनों चीजों पर भारी टैक्स लगाया गया था। आम बजट के बाद वर्ष 1986 में रेल बजट भी लीक हो गया था। उस समय रेल मंत्री बंशीलाल थे और विपक्षी सांसदों ने संसद में अखबारों की प्रतियां लहराईं, रेल बजट के प्रावधानों को पहले ही प्रकाशित कर दिया गया था।
1955 में पहली बार हिंदी में बजट पेश
आजादी के 8 वर्ष बाद 1955 में पहली बार बजट की प्रतियां हिंदी में भी छपवाई गईं। सांसदों को दी गईं। तत्कालीन वित्तमंत्री सीडी देशमुख ने 30.17 करोड़ रुपये के घाटे का बजट पेश किया, जिसमें पहली बार रक्षा तैयारियों के लिए 200 करोड़ रुपये का बजट दिया गया था, जो पूरे बजट का लगभग आधा था। इसमें विकास पर केवल 75 करोड़ और शिक्षा पर महज 7 करोड़ खर्च का प्रावधान था।
1958 में जब पीएम नेहरू ने पेश किया बजट
वर्ष 1958 का आम बजट प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने पेश किया था। इसमें पहली बार उपहार कर लगाया गया। प्रधानमंत्री नेहरू ने दान पर लगाए गए टैक्स की संसद में वकालत की। यह 50 हजार रुपये के उपहार पर 4 फीसदी से शुरू किया गया था, जो 50 लाख रुपये तक जाते-जाते 40 फीसदी तक लगाया गया था।
जब-जब युद्ध, तब-तब बढ़ा टैक्स का बोझ
वर्ष 1965 के युद्ध के बाद लोगों पर भारी भरकम टैक्स का बोझ डाला गया था। तब 101.59 करोड़ रुपये के नए टैक्स का प्रावधान किया गया। आयकर में भी 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई। तत्कालीन वित्त मंत्री शचींद्र चौधरी ने 117 करोड़ रुपये के घाटे का बजट पेश किया था। पाकिस्तान युद्ध के बाद पेश किये गए बजट में जरूरत के हर सामान पर टैक्स का बोझ बढ़ाया गया था।
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