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कोर्ट का फैसला
– फोटो : amar ujala
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आगरा के विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट प्रमेंद्र कुमार ने एत्माद्दौला के दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के मामले में दोषी को 20 साल की कैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने आरोप तय होने के बाद महज 36 दिन में फैसला सुनाया। मामले में विवेचक ने 17 दिन में आरोप पत्र दाखिल किया था। आठ सितंबर को कोर्ट ने आरोप तय कर सुनवाई शुरू की। साक्ष्य और बयानों के आधार पर आरोपी को दोषी पाते हुए 20 साल कारावास और 20 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई।
एत्माद्दौला क्षेत्र की रहने वाली 17 साल की किशोरी मानसिक रूप से अस्वस्थ है। उनके पिता ने आठ जुलाई को थाना में तहरीर दी। इसमें कहा कि पड़ोस में महिला के घर में उसका भतीजा अरतोनी (सिकंदरा) निवासी नीरज रहता है। नीरज ने बेटी को बुआ के घर बुलाकर दुष्कर्म किया। युवक काफी समय से उसका शोषण कर रहा था। बेटी के गर्भवती होने पर घटना का पता चला। इस बारे में बेटी से पूछा। उसने घटना की जानकारी दी।
पुलिस ने दर्ज किया था मुकदमा
पुलिस ने नीरज के खिलाफ दुष्कर्म और पोक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया। विवेचक देवेंद्र सिंह ने पीड़िता का मेडिकल और बयान दर्ज कराने की प्रक्रिया पूरी की। इसके बाद 25 जुलाई को आरोपी नीरज के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल कर दिया। 8 सितंबर को कोर्ट ने आरोप तय होने पर अभियोग की सुनवाई शुरू कर दी। अभियोजन की तरफ से विशेष लोक अभियोजक विजय किशन लवानिया और सतेंद्र प्रताप गौतम ने वादी, पीड़िता, विवेचक देवेंद्र सिंह, महिला पुलिसकर्मी वीना सिंह और डा. रुचि रानी की कोर्ट में गवाही के लिए पेश किया।
कोर्ट ने पाया दोषी
विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट प्रमेंद्र कुमार ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य और विशेष लोक अभियोजकों के तर्क के आधार पर आरोपी को पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी पाते हुये 20 वर्ष कैद और 20 हजार रुपये के अर्थ दंड से दंडित किया। अर्थदंड की आधी धनराशि पीड़िता को दिलाने के साथ उसे यथोचित प्रतिकर दिलाने के लिए आदेश की प्रति जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को प्रेषित करने के आदेश दिए हैं।
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