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Vascular Society of India
– फोटो : अमर उजाला
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मरीज हृदय की ही नहीं प्रोस्टेट, गभार्शय और घुटने की भी एंजियोग्राफी करा सकते हैं। वैस्कुलर सर्जरी ने जटिल ऑपरेशनों की संभावनाओं को भी कम कर दिया है। होटल ताज कन्वेंशन में आयोजित द वैस्कुलर सोसाइटी ऑफ इंडिया की कार्यशाला में शनिवार को मेदांता हॉस्पिटल के डॉ. राजीव परख ने इस बारे में बताया। उन्होंने कहा कि कि प्रोस्टेट की समस्या होने पर यदि अधिक उम्र या अन्य किसी परिस्थिति से मरीज ऑपरेशन नहीं कराना चाहते हैं तो वैस्कुलर सर्जरी उनके लिए मददगार है।
डॉ. राजीव परख ने कहा कि मीनोपॉज या अन्य वजह से अधिक रक्तस्राव होने पर गर्भाशय निकलवाने की नौबत आ जाए तो भी वैस्कुलर सर्जरी के जरिये रक्तस्राव को बंद कर गर्भाशय को बचाया जा सकता है। घुटनों के प्रत्यारोपण की संभावना को भी कम किया जा सकता है। प्रोस्टेट, गर्भाशय निकालने और घुटने के प्रत्यारोपण में वैस्कुलर सर्जरी का कोई विकल्प नहीं है। कार्यशाला में नसों की बीमारियों पर आधारित 100 व्याख्यान हो चुके हैं और 100 शोधपत्र प्रस्तुत किए जा चुके हैं।
इस अवसर पर मुख्य रूप से आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. वीएस बेदी, सचिव डॉ. तपिश साहू, उपाध्यक्ष डॉ. संदीप अग्रवाल, प्रसीडेन्ट डॉ. पीसी गुप्ता, कोषाध्यक्ष डॉ. अपूर्व श्रीवास्तव, मायो क्लीनिक की डॉ. मंजू कालरा, यूके डान कैस्टर से डॉ. नन्दन हल्दीपुर, यूके से डॉ. रघु लक्ष्मी नारायण, मस्कट से डॉ. एडविन स्टीफन, डॉ. केआर सुरेश, डॉ. सात्विक, डॉ. आशुतोष पांडे आदि उपस्थित रहे।
नसों की समस्या को लंबे समय तक नजरअंदाज न करें
पूना से आए डॉ. धनेश कामरेकर ने कहा कि गर्भावस्था के बाद करीब 30 प्रतिशत महिलाओं में रक्त नलिकाओं से संबंधित समस्या देखने को मिलती है। नसों की समस्या को लंबे समय तक नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इससे गैंगरीन की समस्या बन सकती है, पैर की अंगुली से शुरू होकर कालापन पैरों में ऊपर तक पहुंचने लगता है।
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नसों की समस्या पानी की कमी से भी हो सकती है
गंगाराम हॉस्पिटल के डॉ. संदीप अग्रवाल ने कहा कि गर्मी के मौसम में शरीर में पानी की कमी होने से भी नसों की बीमारी हो सकती है। मई व जून में इस तरह की समस्या अधिक होती है। शरीर में पानी की कमी नहीं होने देना चाहिए। उन्होंने डीप वेन थ्रोम्बोसिस के बारे में भी जानकारी दी। इसमें त्वचा के नीचे वाली नसें फूल जाती हैं। ब्लड नीचे से ऊपर नहीं आ पाता। 10 में से 6-7 महिलाओं को जीवनकाल में यह समस्या जरूर होती है। समस्या की अनदेखी करने पर नसें फट जाती हैं या रक्त जम जाता है। डॉक्टर के पास मरीज तब पहुंचता है जब जख्म बन जाता है और पस पड़ जाता है। पहले हिस्से को काटकर इलाज किया जाता था और अब लेजर से इलाज संभव है।
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