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जोविल प्रभात ने हासिल की 850वीं रैंक
– फोटो : अमर उजाला
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उत्तर प्रदेश के आगरा में लक्ष्य निर्धारित और उसे प्राप्त करने के लिए मन में दृढ़ विश्वास हो तो विपरीत परिस्थितियां भी बांधा नहीं बन सकती। यह साबित करके दिखाया है। दयालबाग के शीतला धाम निवासी जोविल प्रभात ने। उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में तीन बार असफलता पाई और कोरोना काल में पिता को खोया। इसके बाद भी अपना हौसला बनाए रखा। इसकी बदौलत अब 850वीं रैंक प्राप्त की है।
महामारी में पिता की हो गई मौत
जोविल प्रभात ने बताया कि उन्होंने आईआईटी बीएचयू से बीटेक किया। इसके बाद वर्ष 2018 से दिल्ली में रहकर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की तैयारी शुरू कर दी। पहले दिन प्रयास में उनके हाथ असफलता आई। इस बीच कोरोना महामारी के दौरान उनके पिता जीएस प्रभात की मौत हो गई। वह समाज कल्याण निर्माण विभाग में सिविल इंजीनियर थे।
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नेशनल मॉडल स्कूल में शिक्षिका हैं
पिता ने उनके लिए जो सपना देखा था, उसको पूरा करने की जिद उन्होंने नहीं छोड़ी। आखिरकार मेहनत रंग लाई। जोविल प्रभात का कहना है कि किसी भी स्थिति में हमें अपने धैर्य को नहीं खोने देना चाहिए। वह ऑनलाइन अखबार और मैगजीन पढ़ते थे। बेसिक चीजों पर अधिक ध्यान दिया। सोशल मीडिया का सीमित इस्तेमाल किया। जोविल प्रभात की मां सर्वेश नेशनल मॉडल स्कूल, मऊ रोड में शिक्षिका हैं।
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