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आगरा कलक्ट्रेट
– फोटो : अमर उजाला
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आगरा में भूमाफिया के विरुद्ध कार्रवाई को लेकर भले ही मुख्यमंत्री गंभीर हैं, लेकिन जिले में 44 भूमाफिया पुलिस और प्रशासन की लचर कार्यशैली का फायदा उठा रहे हैं। खाकी और खादी के गठजोड़ से टास्क फोर्स कागजों तक सिमट कर रह गई है।
जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स की दो साल में सिर्फ दो बैठक हुई। जिनमें कोई निर्णय नहीं हुआ। टास्क फोर्स की निष्क्रियता से जमीनों से कब्जे नहीं हट पा रहे। यह स्थिति तब है चार दिन पहले राजस्व मंत्री अनूप प्रधान ने भूमाफिया के विरुद्ध अभियान चलाकर करवाई के निर्देश दिए थे। भूमाफिया पर जुर्माना लगाने की बात कही थी। जिले में करीब ढाई सौ करोड़ रुपये से अधिक बाजार मूल्य की सरकारी व निजी संपत्तियों पर 44 भूमाफिया काबिज है। इनके कब्जे में 50 हेक्टेयर से अधिक भूमि है।
6 साल में आई भूमाफिया की 3000 शिकायतें
सरकारी व निजी जमीनों पर दबंगों के कब्जों को लेकर पिछले 6 साल में जिले में 3000 से अधिक शिकायतें एंटी माफिया पोर्टल पर दर्ज हो चुकी हैं। जिनका कागजों में ही निस्तारण हो जाता है। आईजीआरएस व सीएम हेल्पलाइन सहित विभिन्न माध्यमों से भू माफियाओं के विरुद्ध शिकायतों पर कार्रवाई नहीं होती।
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2596 करोड़ की जमीन खुर्दबुर्द
जोंस मिल में सफेदपोश, खाकी और भूमाफिया ने मिलकर 2596 करोड़ रुपये की जमीन खुरबुर्द कर दी। जांच के नाम पर दो साल से खानापूर्ति हो रही है। पुलिस और प्रशासन के अधिकारी अदालतों की आड़ लेकर कार्रवाई नहीं करते। जबकि जिन मामलों में फायदा हो वहां कुछ भी करने को आतुर रहते हैं।
चिह्नित कराई हैं संपत्तियां
एडीएम प्रशासन व प्रभारी एंटी भूमाफिया अजय कुमार सिंह ने बताया कि भूमाफिया की संपत्तियां चिह्नित कराई हैं। निजी जमीनों पर कब्जे हैं। अदालतों में मामले विचाराधीन हैं। विधिक राय के आधार पर कार्रवाई करेंगे।
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