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आवास विकास कॉलोनी स्थित सैक्टर 12 में सड़क के किनारे लगा कूड़े का ढ़ेर।
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
उत्तर प्रदेश के आगरा में शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने में नगर निगम पिछले पांच साल में नाकाम रहा। चुनाव में सफाई भी मुद्दा है। पिछले पांच साल में स्मार्ट सिटी के दामन पर कूड़ा घोटाले के दाग हैं। एफआईआर के बाद भी न जांच आगे बढ़ी। कूड़े से बिजली बनी। डस्टबिन भी कबाड़ हो गए।
दुनियाभर से आते हैं पर्यटक
प्रदेश के जिस शहर में दुनियाभर से पर्यटक आते हैं, उसमें सफाई व्यवस्था लचर है। नगर निगम के पास 4500 सफाई कर्मियों की फौज है। फिर भी सफाई निजी हाथों में है। पिछले पांच साल में कूड़ा उठान के नाम पर करीब 22 करोड़ रुपये का डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन घोटाला हो चुका है। इसमें तीन कंपनियां फंसी हैं। अब चौथी कंपनी के हाथ कूड़ा उठान की कमान है। परंतु धरातल पर हकीकत नहीं बदल सकी। 100 वार्डों में शत प्रतिशत कूड़ा नहीं उठ रहा।
डस्टबिन के नाम पर एक करोड़ खर्च
इधर, खुले में शौच कागजों में भले बंद हो, लेकिन डीएम कपाउंड के पीछे, ईदगाह, ट्रांसपोर्ट नगर और यमुना किनारे लोटा पार्टियां आपको सुबह-शाम घूमती मिल जाएंगी। कूड़े से बिजली बनाने की योजना भी अधर में है। सीएम योगी ने वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का शिलान्यास किया था, लेकिन काम आगे नहीं बढ़ सका। भूमिगत डस्टबिन के नाम पर एक करोड़ रुपये खर्च हुए। वो डस्टबिन भी अब कबाड़ हो रहे हैं। कूड़े का उठान नहीं होने के कारण घरों से सड़कों पर फिंकता है। सड़कों पर डलाबघर बने हुए हैं।
गली-बस्तियों का सबसे बुरा हाल
अर्जुन नगर निवासी राजकुमार नागरथ का कहना है कि सफाई सिर्फ चुनिंदा इलाकों में होती है। चुनिंदा सड़कों पर ही झाड़ू लगता है। कूड़ा उठता है। क्योंकि वहां अफसर और नेताओं का आना-जाना रहता है। गली-बस्तियों में गंदगी से बुरा हाल है। मंटोला, ढोलीखार, काजीपाड़ा से लेकर पुराने शहर, शाहगंज, रुई की मंडी की गलियों में नालियां चोक हैं। कचरे के ढेर लगे रहते हैं। इनसे भीषण बदबू आती है।
फैक्ट फाइल…
- शहर में 1300 मीट्रिक टन कूड़ा रोज निकलता है
- 43 लाख रुपये प्रति माह कूड़ा कलेक्शन का ठेका
- पांच लाख घर हैं नगर निगम के सभी 100 वार्डों में
- 22 करोड़ रुपये का कूड़ा घोटाला में एफआईआर
नेता मस्त, जनता त्रस्त
वार्ड 32 नाई की सराय में सफाई व्यवस्था जीरो है। आज तक कोई कूड़ा उठाने नहीं आया। स्वयं पैसा देकर निजी सफाई कर्मियों से कूड़ा उठवाना पड़ता है। -शैलेंद्र भदौरिया, कालिंदी विहार
भ्रष्टाचार का खेल
सफाई के नाम पर नगर निगम में भ्रष्टाचार का खेल हो रहा है। शहर में सफाई नहीं सुधरी। इंदौर के सपने दिखाकर करोड़ों रुपये ठेकेदार, नेता और अफसर खा गए। -चतुर्भुज तिवारी, लोहामंडी
सदन में उठाया मुद्दा
कूड़ा कलेक्शन के नाम पर हुए घोटाले का मुद्दा सदन में उठाया था। तभी एफआईआर हो सकी। इस सरकार में घोटाला की जांच नहीं होती बल्कि पर्दा डाला जाता है। -राहुल चौधरी, पार्षद, आजमपाड़ा
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