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Up nikay chunav, निकाय चुनाव, यूपी चुनाव
– फोटो : फाइल फोटो
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उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में निकाय चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हैं। अपने-अपने नेताओं को जिताने में समर्थक लोगों से अपील कर रहे हैं। वहीं नेताओं के व्यवहार को लेकर आमजन का दर्द भी सामने आया। लोगों ने दो दशक पहले और अब की राजनीति पर अपनी बात रखी।
दुबे कंपाउंड निवासी प्रमोद दुबे बाबा कहते हैं कि समय के साथ नेताओं का चाल चलन भी बदल गया है। एक समय था जब नेता अपने मतदाताओं का हमेशा साथ देते थे। अब तो बात ही नहीं सुनते हैं। सभासद और चेयरमैन से बात करना मुश्किल है। हमदर्द होने का दावा करने वाले नेता चुनाव जीतने के बाद सिरदर्द बन जाते हैं।
चेयरमैन के सुरक्षाकर्मी मिलने तक नहीं देते
चार दशक पहले के चुनावों को याद करके दुबे कंपाउंड निवासी प्रमोद दुबे का दर्द उनके चेहरे से छलकने लगता है। वह बताते हैं कि चार दशक पहले चुनाव जीतने वाले चेयरमैन और सभासद से मिलना बहुत आसान था। नगर पालिका में पहुंचने वाले पीड़ितों की बात सुनकर समस्या का समाधान कराते थे। अब तो चेयरमैन के सुरक्षाकर्मी मिलने तक नहीं देते हैं। पहले के चुने गए सभासद अपने वार्ड के हर आदमी की बात सुनते थे। अब बात सुनना तो दूर फोन तक नहीं उठाते हैं।
प्रत्याशी दोबारा क्षेत्र में नजर नहीं आते
वह बताते हैं कि घर पर होते हुए भी मना कर देना आम बात हो चुकी है। यही वजह है कि लोगों का नेताओं से जहां मोहभंग हो रहा है वहीं नेताओं का सम्मान भी लगातार गिरता जा रहा है। चेयरमैन और सभासद अपने चहेतों से घिरे रहने के कारण आम आदमी की बात नहीं सुन पाते हैं। हारने वाले प्रत्याशी तो दोबारा क्षेत्र में आते ही नहीं हैं। ऐसे में लोग उनको क्यों पसंद करेंगे।
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