[ad_1]
UP Lok Sabha Election 2024
– फोटो : अमर उजाला
पशु -पक्षी चुनाव चिह्न होने के कारण उम्मीदवार प्रचार के दौरान इनका जीवित रूप में प्रयोग करते थे। इस दौरान पशु -पक्षियों से क्रूरता भी की जाती थी। प्रचार के दौरान पशु पक्षियों पर होने वाले क्रूर बर्ताव के कारण चुनाव आयोग ने चुनाव चिह्न के रूप में इनके इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी।
पशु प्रेमियों के विरोध के चलते उन्हें चुनाव चिह्न की सूची से 33 साल पहले हटा दिया गया था। रोक से पहले प्रचार के दौरान जानवरों को कारों आदि वाहनों की छत पर तारों या रस्सियों से बांधकर या फिर सिर और कंधे पर रखकर लोगों से वोट मांगते थे।
ऐसे में पशु-पक्षी बेहाल हो जाते थे। इसके विरोध में वन्य जीव प्रेमियों ने चुनाव आयोग से चुनाव चिह्न के रूप में इनके उपयोग पर रोक लगाने की आवाज उठाई थी। आयोग ने इस पर रोक लगाते हुए कहा कि पशु क्रूरता निवारक अधिनियम- 1960 और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम- 1972 का उल्लंघन न हो।
इसके लिए राज्य सरकारों से विचार-विमर्श कर यह सुनिश्चित किया गया है कि ऐसे जीवंत प्रतीक जो कि पारिवारिक नहीं माने जा सकते, उनको चुनाव चिह्न सूची में शामिल नहीं किया जाएगा।
[ad_2]
Source link