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– फोटो : istock
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आगरा के थाना कोतवाली क्षेत्र से देवर के अपहरण की आरोपी भाभी माहेनूर को अपर जिला जज मोहम्मद राशिद ने साक्ष्य के अभाव में बरी करने का आदेश किया। मामला करीब 30 साल पुराना है। वह इन दिनों जमानत पर थी।
कोतवाली थाने में पाय चौकी कटरा दवकियान निवासी नफीस फातिमा ने केस दर्ज कराया था। आरोप लगाया कि 6 फरवरी 1993 को बड़ा बेटा जमीलुद्दीन घर से अपनी पत्नी माहेनूर से बोलकर गया कि 9 फरवरी 1993 को छोटे भाई शकीलुद्दीन को लेकर अलीगढ़ नुमाइश देखने आ जाना। माहेनूर देवर शकीलुद्दीन को नुरूद्दीन और वसीमुद्दीन के सामने नुमाइश दिखाने के लिए अपने साथ अलीगढ़ ले गई।
नहीं लौटा था बेटा
वहां से माहेनूर शाम को वापस घर आ गई। 10 फरवरी की रात जमीलुद्दीन भी घर आ गया। शकीलुद्दीन नहीं लौटा। पूछने पर कुछ बताया भी नहीं। चार महीने की तलाश में भी बेटा नहीं मिला। फातिमा ने पुलिस को बताया कि 21 जून 1993 को जमीलुद्दीन ने शकीलुद्दीन की हत्या करा देने की बात कही। 26 जून 1993 को थाने में बहू और बेटे के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज कराया।
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वादी की गवाही से पहले हुई मौत
इधर, बाद में बेटे जमील की मौत हो जाने के कारण अदालत ने उसके विरुद्ध कार्यवाही समाप्त कर दी। फातिमा की भी गवाही से पहले मौत हो गई। अभियोजन पक्ष की तरफ से वसीमुद्दीन, नुरूद्दीन, गुलजार मोहम्मद, सगीरुद्दीन, महजबीं, नाजरीन और एसआई सत्यवीर को गवाही के लिए अदालत में पेश किया गया। गवाहों ने अभियोजन पक्ष के आरोपों का समर्थन नहीं किया। कोर्ट ने बचाव पक्ष के अधिवक्ता राजेंद्र कुमार सैनी के तर्क सुनने के बाद देवर के अपहरण की आरोपी उसकी भाभी को बरी करने के आदेश किए।
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