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पालीवाल पार्क स्थित जोन्स लाइब्रेरी में कूड़े में पड़ी विक्टोरिया की मूर्तियां।
– फोटो : अमर उजाला
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आगरा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चुनावी जनसभा में गुलामी के प्रतीकों को मिटाने और विरासत को सम्मान देने का एलान किया। मुगलिया काल में देश की राजधानी और ब्रिटिश काल में नार्थ वेस्टर्न प्राविंस की राजधानी रहे आगरा में गुलामी के निशान तो आजादी के बाद से ही हटाने शुरू हो गए, पर नाम बदलकर भी उनकी तस्वीर और हालात नहीं बदले।
योगी सरकार ने ताजमहल के पूर्वी गेट पर सपा सरकार में बनाए जा रहे मुगल म्यूजियम का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज म्यूजियम कर दिया, पर 6 साल में बजट तक नहीं दिया। शिवाजी म्यूजियम अब तक अधूरा है, जबकि हर बार मुख्यमंत्री छत्रपति शिवाजी म्यूजियम का नाम अपने संबोधन में आगरा आने पर लेते हैं।
चौराहों के नाम बदले, हालात वही
नगर निगम के निवर्तमान बोर्ड ने 50 से ज्यादा चौराहो के नाम बदले, जिनमें मुगल रोड का नाम बदलकर महाराजा अग्रसेन मार्ग कर दिया गया। इसी तरह लोहामंडी, नौबस्ता चौराहे का नाम बदलकर गुरु नानक देव चौक किया गया। सड़कों के साथ जिन इमारतों, प्रतिष्ठानों और संस्थानों के नाम बदले, उनके नाम के अनुरूप उनकी स्थिति में बदलाव नहीं हो पाया। हेविट पार्क का नाम पालीवाल पार्क हो जाने पर भी 100 साल से यह वैसा ही है, इसके लिए कोई प्रोजेक्ट न बना, न कोई नया आकर्षण पार्क में बनाया जा सका।
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118 साल पुरानी प्रतिमा हो गई बदहाल
क्वीन विक्टोरिया के निधन के बाद प्रिंस ऑफ वेल्स ने ताजमहल और आगरा किला के बीच बनाए गए पार्क में 18 दिसंबर 1905 को ग्रेनाइट के प्लेटफॉर्म पर कांसे से बनी क्वीन विक्टोरिया की प्रतिमा का अनावरण किया था। इस पार्क का नाम क्वीन विक्टोरिया पार्क रखा गया। इटली में प्रसिद्ध कलाकार थॉमस ब्रॉक ने यह प्रतिमा बनाई थी। जैसी यह प्रतिमा है, वैसी देश में 14 प्रतिमाएं तब लगाई गई थीं। ऐसी प्रतिमा इंग्लैंड में बकिंघम पैलेस के सामने लगी है। आजादी के बाद पार्क का नाम शाहजहां पार्क रखा गया और यहां से क्वीन विक्टोरिया की करोड़ों रुपये की प्रतिमा को पालीवाल पार्क स्थित म्यूजियम के बाहर रख दिया गया, जो अब बदहाल हो गई है।
धरोहरों को मिले सम्मान
एक्टिविस्ट राजीव सक्सेना ने बताया कि गुलामी के निशान बदलिए, लेकिन जो धरोहरें हैं, उन्हें सम्मान भी मिलना चाहिए। विक्टोरिया की दुर्लभ प्रतिमा पालीवाल पार्क में बदहाल हो रही हैं। गुलामी के निशान हैं तो इन्हें म्यूजियम में रखकर नई पीढ़ी को बताइये। वह भी जानें और आजादी का महत्व समझें।
नहीं मिला बजट
सिविल सोसायटी के अध्यक्ष शिरोमणि सिंह ने बताया कि नाम बदले, पर उनके लिए न कोई बजट मंजूर किया, न देखरेख की। शिवाजी म्यूजियम के लिए सरकार बजट में पैसा मंजूर नहीं कर रही। टाटा प्रोजेक्ट जैसी कंपनी काम रोककर बैठी है। मुख्यमंत्री हर बार नाम लेते हैं, पर बजट नहीं देते।
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