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जेंडर या लैंगिक पहचान समाज में एक महत्वपूर्ण बात है. इस पहचान को सामाजिक मान्यताओं ने दिनों-दिन पुख्ता किया और समाज जेंडर को देखने व समझने को तैयार हो गया है. इस कारण ही समाज में थर्ड जेंडर को लेकर जो धारणा बनी वह उनकी पहचान पर भी संकट पैदा करने वाली थी क्योंकि वह प्रचलित बाइनरी से बाहर थे लेकिन डॉ. भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी ने एक बार फिर थर्ड जेंडर को समान अधिकारों के साथ जीने का मौका दिया है, थर्ड जेंडर को बढ़ावा देने के लिए सेल का शुभारंभ भी किया गया है.
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