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आगरा में अतिरिक्त पीठासीन अधिकारी सुरेश चंद ने 15 लाख रुपये के चेक बाउंस के मामले में मेसर्स विज कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर बिल्डर योगेश विज को दोषी पाया। उन्होंने बिल्डर को दो साल की कैद और 30 लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड राशि प्रतिकर के रूप में वादी को दिलाने के आदेश दिए हैं।
भरतपुर हाउस, हरीपर्वत निवासी हीरालाल ने वरिष्ठ अधिवक्ता दुर्ग विजय सिंह और जयवीर सिंह के माध्यम से कोर्ट में वाद प्रस्तुत किया था। इसमें कहा कि बिल्डर जमीन की खरीद फरोख्त करता है। उन्होंने वर्ष 2010 में उनसे संपर्क किया। सिकंदरा में अपनी साइट के बारे में बताया। कहा कि वह जमीन खरीदकर सस्ती दर पर फ्लैट बनाकर बेचेंगे। जगह पसंद आने पर हीरालाल ने 15 लाख रुपये एडवांस में दे दिए। बिल्डर ने 25 अक्तूबर 2011 तक बैनामा करने की बात कही। मगर, बैनामा नहीं कराया। 22 दिसंबर 2012 को चेक दे दिया, जो बैंक में लगाने पर बाउंस हो गया। इस पर विधिक नोटिस भेजा, लेकिन बिल्डर ने कोई जवाब नहीं दिया। उसने रुपये भी वापस नहीं किए। कोर्ट ने तथ्यों के आधार पर बिल्डर को दोषी पाया।
बिल्डर के खिलाफ दूसरे मामले में सजा
विज कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर योगेश विज के खिलाफ यह दूसरा मामला है, जब उन्हें सजा सुनाई गई। इससे पहले भरतपुर हाउस निवासी नीतू अमरनानी ने वर्ष 2012 में वरिष्ठ अधिवक्ता दुर्ग विजय सिंह भैया के माध्यम से कोर्ट में वाद प्रस्तुत किया था। नीतू को फ्लैट खरीदना था। उन्होंने बिल्डर को 10 लाख रुपये दिए थे। बाद में बिल्डर ने उन्हें चेक दे दिया। जो बाउंस हो गया। बिल्डर योगेश विज को दोषी पाते हुए दो वर्ष के कारावास और 20 लाख रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया था।
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