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उत्तर प्रदेश में भले ही योगी सरकार गड्ढा मुक्त सड़कों का वादा करती हो, लेकिन यहां तो 44 किलोमीटर लंबी सड़क में 4400 से ज्यादा गहरे गड्ढे हैं। इन गड्ढों में फंसकर अक्सर वाहन पलटते रहते हैं। लोग हादसों का शिकार हो रहे हैं। पिछले एक साल में 50 से अधिक हादसे हो चुके हैं। सड़क हादसे में दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है। कई बार अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही मरीज दम तोड़ देते हैं, बावजूद इसके न तो प्रशासन का ध्यान इस ओर जा रहा है और न हीं जनप्रतिनिधियों को इसकी चिंता है।
ये हाल है दिल्ली-आगरा नेशनल हाइवे से दिल्ली-अलीगढ़ हाइवे को जोड़ने वाली 44 किलोमीटर लंबी सड़क की, जो छाता से होते हुए शेरगढ़, नौहझील व बाजना के रास्ते गौमत तक जाती है। कई महत्वपूर्ण कस्बों को जोड़ने वाला यह रास्ता अब खतरों के सफर बन चुका है। सांसद हेमा मालिनी छाता से नौहझील-बाजना होते हुए गौमत तक क्षतिग्रस्त मार्ग को बनवाने के लिए दो बार वादा कर चुकी हैं, लेकिन चुनाव बाद वे अपना वादा भूल चुकी हैं। उधर जिले के आलाधिकारी क्षेत्रीय लोगों से मार्ग के निर्माण का आश्वासन दे चुके हैं। लोग इस मार्ग की दुर्दशा को लेकर बेहद आक्रोशित हैं।
विधायक ने उठाई है सड़क को फोरलेन बनाने की मांग
हाल ही में क्षेत्रीय विधायक राजेश चौधरी ने इस सड़क को बनवाने के लिए केन्द्रीय सड़क व परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की है। उन्होंने इस सड़क को फोरलेन बनाने की मांग उठाई है। लोगों का कहना है कि उससे पहले सड़क में बने गड्ढों की समस्या से निजात मिलनी चाहिए।
240 से ज्यादा गांवों के लिए महत्वपूर्ण है सड़क
छाता से गौमत तक जाने वाली 44 किलोमीटर लंबी सड़क छाता, शेरगढ़, नौहझील, बाजना के अलावा गौमत जैसे बड़े कस्बों को जोड़ती है। यह मार्ग नौहझील क्षेत्र में नौहवारी-नरवारी के 120 गांवों के साथ-साथ 240 गांवों के लिए महत्वपूर्ण मार्ग है। उधर नौहझील से रायपुर व मानागढ़ी मोड़ से मानागढ़ी-खाजपुर तक जाने वाला रास्ता भी जर्जर है। सड़कों की खराब दुर्दशा को लेकर क्षेत्र के लोग आंदोलन का मन बना रहे हैं।
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