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संवाद न्यूज एजेंसी, आगरा
Updated Fri, 05 Jan 2024 11:54 PM IST
कासगंज। अयोध्या में राम मंदिर के लिए होने वाले आंदोलन के लिए जिले में 1984 में ही नींव रख दी गई थी। दिल्ली में आयोजित होने वाली धर्म संसद से पहले निकाली गई एकात्म यात्रा का जनपद में पहुंचने पर स्वागत किया गया। प्रभुपार्क में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इसके बाद 1986 में बारह पत्थर मैदान पर आयोजित होने वाले हिंदू सम्मेलन में काफी संख्या में राम भक्त जुटे थे।अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में 22 जनवरी को भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। भगवान राम के मंदिर के लिए होने वाले आंदोलन की तैयारियों में जिले के राम भक्तों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। वर्ष 1984 में राम मंदिर निर्माण के लिए हिंदुओं को संगठित करने की जिम्मेदारी आरएसएस ने उठाई। इसके लिए अप्रैल 1984 में दिल्ली में होने वाली पहली धर्म संसद से पहले एकात्म यात्रा का आयोजन किया गया। 1991 में जलेसर के सांसद रहे स्वामी सुरेशानंद उस समय एकात्म यात्रा के साथ जिले में आए। स्वामी सुरेशानंद ने राम मंदिर को मुक्त कराने, हिंदुओं को संगठित करने के लिए गांंव-गांव तक अभियान चलाने का आह्वान किया था। इसके बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं विश्व हिंदू परिषद ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी। मंदिर आंदोलन के लिए निकलने वाली यात्राओं की सुरक्षा के लिए 1984 में ही बजरंग दल का गठन होने से संगठन में युवाओं की संख्या तेजी से बढ़ने लगी। 1986 में अयोध्या में राम मंदिर का ताला खुल जाने के बाद आंदोलन को फिर से धार देने के लिए बारह पत्थर मैदान पर हिंदू सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन के चलते शहर को केसरिया पताका से सजाया गया। बढ़ी संख्या में हिंदुओं ने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया। इसमें राम मंदिर निर्माण, बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ते अत्याचार सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई। आरएसएस के मंडल कार्यवाह रहे सर्वोत्तम शर्मा बताते हैं कि उस समय उनके पिता मुन्नालाल शर्मा विहिप के नगर अध्यक्ष थे। मंदिर के लिए होने वाले सभी आंदोलनों में जिले के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। काफी संख्या में लोग जेल गए। अयोध्या में समय-समय पर होने वाली कार सेवा में भी जिले के लोग शामिल हुए।
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