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आगरा। शास्त्रीपुरम स्थित नालंदा क्राउन का हश्र ट्विन टावर जैसा हो सकता है। यह प्रोजेक्ट 11 साल से अधूरा पड़ा है। 200 से अधिक फ्लैट बिक चुके हैं, फिर भी आठ मंजिला बिल्डिंग अधूरी पड़ी है। सड़क, सीवर, पेयजल व्यवस्था तो दूर यहां खिड़की-दरवाजे तक नहीं लगे हैं। खरीददारों के 500 करोड़ रुपये फंसे हैं। पीड़ितों का कहना है कि ट्विन टावर के लिए लड़ाई लड़ने वाली एमरॉल्ड आरडब्ल्यूए की तर्ज पर अब वह बिल्डरों की धोखाधड़ी के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण लेंगे।
2011 में नालंदा बिल्डर्स एंड डेवलपर्स ने नालंदा क्राउन का प्रोजेक्ट शुरू किया प्रोजेक्ट 2014 में पूरा होना था। 248 फ्लैट बनने थे, लेकिन 11 साल बाद भी यह अधूरे हैं। नालंदा ग्रुप ने प्रोजेक्ट फेल होने के बाद बिना खरीददारों की सहमति के इसे उन्नति फॉर्च्यून ग्रुप को बेच दिया। उन्नति फार्च्यून ग्रुप भी दिवालिया हो चुका है। ऐसे में अब तीसरे बिल्डर नोएडा के बासु डवलपर्स ने प्रोजेक्ट को खरीद लिया है।
फ्लैट खरीदने वाले हिमांशु कटारा, ज्योति लता और सुषमा पत्नी राहुल देव का कहना है कि बैंक से कर्ज लेकर फ्लैट बुक कराया था। 11 साल में कब्जा नहीं मिला। फ्लैट की पूरी कीमत का भुगतान हो चुका है। हमें अब एमरॉल्ड की तरह हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ेगा। धोखाधड़ी करने वाले बिल्डरों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने के लिए आंदोलन करेंगे।
नालंदा बिल्डर्स के निदेशक राधेश्याम शर्मा का कहना है कि हमारा अब इस प्रोजेक्ट से कोई लेना देना नहीं है। दूसरे बिल्डर को प्रोजेक्ट हस्तांरित कर दिया है। वही अब काम पूरा कराएंगे। वहीं बासु बिल्डर्स के निदेशक पंकज मित्तल ने बताया कि हस्तांतरण की प्रक्रिया चल रही है। दिवाली तक 50 फ्लैट तैयार करा देंगे।
आगरा। शास्त्रीपुरम स्थित नालंदा क्राउन का हश्र ट्विन टावर जैसा हो सकता है। यह प्रोजेक्ट 11 साल से अधूरा पड़ा है। 200 से अधिक फ्लैट बिक चुके हैं, फिर भी आठ मंजिला बिल्डिंग अधूरी पड़ी है। सड़क, सीवर, पेयजल व्यवस्था तो दूर यहां खिड़की-दरवाजे तक नहीं लगे हैं। खरीददारों के 500 करोड़ रुपये फंसे हैं। पीड़ितों का कहना है कि ट्विन टावर के लिए लड़ाई लड़ने वाली एमरॉल्ड आरडब्ल्यूए की तर्ज पर अब वह बिल्डरों की धोखाधड़ी के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण लेंगे।
2011 में नालंदा बिल्डर्स एंड डेवलपर्स ने नालंदा क्राउन का प्रोजेक्ट शुरू किया प्रोजेक्ट 2014 में पूरा होना था। 248 फ्लैट बनने थे, लेकिन 11 साल बाद भी यह अधूरे हैं। नालंदा ग्रुप ने प्रोजेक्ट फेल होने के बाद बिना खरीददारों की सहमति के इसे उन्नति फॉर्च्यून ग्रुप को बेच दिया। उन्नति फार्च्यून ग्रुप भी दिवालिया हो चुका है। ऐसे में अब तीसरे बिल्डर नोएडा के बासु डवलपर्स ने प्रोजेक्ट को खरीद लिया है।
फ्लैट खरीदने वाले हिमांशु कटारा, ज्योति लता और सुषमा पत्नी राहुल देव का कहना है कि बैंक से कर्ज लेकर फ्लैट बुक कराया था। 11 साल में कब्जा नहीं मिला। फ्लैट की पूरी कीमत का भुगतान हो चुका है। हमें अब एमरॉल्ड की तरह हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ेगा। धोखाधड़ी करने वाले बिल्डरों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने के लिए आंदोलन करेंगे।
नालंदा बिल्डर्स के निदेशक राधेश्याम शर्मा का कहना है कि हमारा अब इस प्रोजेक्ट से कोई लेना देना नहीं है। दूसरे बिल्डर को प्रोजेक्ट हस्तांरित कर दिया है। वही अब काम पूरा कराएंगे। वहीं बासु बिल्डर्स के निदेशक पंकज मित्तल ने बताया कि हस्तांतरण की प्रक्रिया चल रही है। दिवाली तक 50 फ्लैट तैयार करा देंगे।
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