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ठाकुर राधावल्लभ में दर्शन करते श्रद्धालु
– फोटो : अमर उजाला
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तीर्थनगरी मथुरा में ठाकुर राधावल्लभ मंदिर में शनिवार सुबह परंपरागत खिचड़ी महोत्सव शुरू हो गया। एक माह चलने वाले इस विशेष महोत्सव में ठाकुर राधावल्लभलाल ने श्रद्धालुओं को गोपी एवं मेवा विक्रेता एवं अन्य स्वरूपों में दर्शन दिए। सेवायत गोस्वामियों ने मेवाओं से बनीं मीठी और नमकीन खिचड़ी सेवित की। हजारों भक्तों ने आराध्य के विभिन्न स्वरूपों में दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किया।
शीतलहर के बीच शनिवार प्रात: छह बजे से ही श्रद्धालु राधावल्लभ मंदिर पहुंचने लगे। समाजी, गोस्वामीजन ने ठाकुरजी के खिचड़ी के पदों का गायन पारंपरिक शैली में किया। जैसे ही साढ़े सात बजे पट खुले, श्रद्धालु आराध्य के एक झलक पाने को लिए आतुर दिखे। श्रद्धालुओं ने मंगला आरती की। सेवायत गोस्वामियों ने मंदिर की रसोई में मेवाओं से निर्मित मीठी एवं नमकीन खिचड़ी ठाकुरजी को सेवित की।
इसके बाद ठाकुरजी ने गोपी, मेवा विक्रेता एवं पान विक्रेता के स्वरूप में श्रद्धालुओं को दर्शन किए। तरह-तरह के स्वरूप में दर्शन के लिए सुदूर क्षेत्रों से आए श्रद्धालुओं एक झांकी के दर्शन के बाद पर्दा लग जाने पर दूसरी झांकी का उत्सुकता के साथ इंतजार करते और गर्भगृह का पर्दा हटते ही आराध्य के नए स्वरूप में दर्शन कर निहाल हो जाते।
ठाकुर राधावल्लभ मंदिर के प्रबंधक अशोक गौतम ने बताया कि वर्ष में एक बार एक माह मंदिर में खिचड़ी महोत्सव मनाने की परंपरा है। इसमें ठाकुरजी को मेवाओं से निर्मित तरह-तरह की खिचड़ी का भोग लगाया जाता है और सेवायत गोस्वामियों, श्रद्धालुओं में वितरित की जाती है। इस बीच ठाकुरजी स्वरूप बदल-बदलकर भक्तों को दर्शन देते हैं। यह खिचड़ी महोत्सव 13 जनवरी से शुरू होकर 11 फरवरी तक चलेगा।
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