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पहले राजा-महाराजा बसाते थे, अब सरकारें उजाड़ती हैं
उन्होंने कहा कि पहले राजा-महाराजा, सल्तनतें लोगों को बसाती थीं, लेकिन अब सरकारें तो लोगों को उजाड़ रही हैं। शाहजहां ने जब ताजगंज क्षेत्र बसाया था तो उसके पीछे मंशा यही थी कि ताजमहल के दीदार के लिए आने वालों को किसी तरह की परेशानी न हो और इस क्षेत्र का अधिक से अधिक विकास हो सके।
जैन मंदिर के ठीक सामने है गेट, सीधी दिखती थी कब्र
व्यापारी ताहिर बताते हैं कि शाहजहां ने ताजमहल के निर्माण से पहले मजदूरों को रहने के लिए मुमताजाबाद कॉलोनी बसाई थी। ताजमहल का मुख्य द्वार साउथ गेट है। यहां पर प्राचीन जैन मंदिर हैं, जहां से सीधा सामने ताजमहल का गेट पड़ता है। यही एकमात्र ऐसा स्थान है जहां से क ब्र सीधी दिखती थी। हम सातवीं पीढ़ी से हैं जो यहां कारोबार कर रहे हैं। उनके पूर्वज बहीउद्दीन ने ताजमहल बनाते समय मजदूरी की थी, जिन्हें शाहजहां ने यहां पर जमीन सौंपी थी। इसके बाद अमीरबाग, माशाल्लाह, रियाजुद्दीन, वलीउद्दीन और अब वह खुद यहां पर उसी जगह पर कारोबार कर रहे हैं, जो जगह शाहजहां ने उन्हें दी थी।
व्यापारियों में रोष
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यहां के कारोबारियों में रोष है। उनका कहना है कि एक ओर सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वाराणसी, उज्जैन, मथुरा आदि जगह कॉरिडोर बना रही है, वहीं दूसरी ओर पहले आबाद ताजगंज क्षेत्र को बर्बाद करने पर आमादा है। पर्यटन की दृष्टि से भारत में ताजमहल सबसे ऊपर है, सरकार को इस संबंध में भी सोचना चाहिए।
इन नंबरों पर दें जरा ध्यान
– 22000 मजदूरों को बसाया गया था ताजगंज क्षेत्र में
– 22 साल लगे थे ताजमहल को बनाने में
– 22 करोड़ रुपये की लागत से बनकर तैयार हुआ था ताज
– 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने व्यावसायिक गतिविधियां बंद करने के दिए निर्देश
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