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आगरा का ताजगंज क्षेत्र
– फोटो : अमर उजाला
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ताजमहल पश्चिमी गेट पर अमरूद टीला पार्किंग पर बने बाजार के 71 दुकानदारों की याचिका में आगरा विकास प्राधिकरण ने सही तथ्य कोर्ट के सामने नहीं रखे। पूरी तस्वीर पेश नहीं की गई। आगरा विकास प्राधिकरण ने पश्चिमी गेट पर अवैध रूप से बनाई गई तीन दुकानों को बचाने के लिए कोर्ट के सामने पूरा ब्योरा नहीं रखा। 71 दुकानदारों ने पश्चिमी गेट पर तीन जगह अवैध रूप से दुकानें बनाने और उनके संचालन को बंद करने की मांग की थी।
एडीए ने ताज की 500 मीटर परिधि में व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद करने के आदेश पर पूरी तस्वीर कोर्ट के सामने नहीं पेश की। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपने आदेश में यह स्पष्ट लिखा कि पहले चरण की सुनवाई में ताजगंज के मामले को इंगित नहीं किया गया था। अगर 71 दुकानदारों के अलावा परिधि में कोई दुकान है तो उसे हटाया जाना चाहिए। इस आदेश के बाद अब एडीए के अधिकारियों पर सभी की निगाहें टिक गई हैं कि पश्चिमी गेट पर नीम तिराहा, आईटीडीसी और पार्किंग के सामने बनाए कॉम्पेक्स की दुकानें तोड़ी जाएंगी या बंद की जाएंगी।
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नई दुकानें हटाने की मांग
ताजगंज वेलफेयर फाउंडेशन के संदीप अरोड़ा ने बताया कि समानता के अधिकार की याचिका में दुकानदारों ने पश्चिमी गेट के सामने बनी नई दुकानों को हटाने की मांग की थी, पर सही तथ्य पेश न करने से पूरे ताजगंज के कारोबार पर आदेश आ गया। कोर्ट ने अपने आदेश में इसे स्पष्ट किया है। अब एडीए के अधिकारियों को अवैध दुकानों पर कार्रवाई करनी चाहिए जो पश्चिमी गेट पार्किंग से गेट के बीच खोल दी गई हैं।
सही तस्वीर पेश नहीं की
होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश चौहान ने बताया कि एडीए के अधिकारियों ने बंदी का नोटिस देकर करोड़ों रुपये का नुकसान तो कर ही दिया, लोगों को पूरे डेढ़ महीने तक मानसिक रूप से परेशान किया। कोर्ट में न तो सही तस्वीर पेश की गई, न ही जानकारी दी गई। ताजगंज का तो मामले से लेनादेना ही नहीं था।
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