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ताज महल
– फोटो : SELF
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मकराना के सफेद संगमरमर से बनी ताजमहल में यमुना किनारे की छतरी पर पहली बार संरक्षण का काम किया जा रहा है। यह लाल बलुई पत्थर से बनी है। ब्रिटिश काल में कई बदलाव और संरक्षण कराए, पर मुगल काल के मूल पत्थर अब भी कई जगह हैं। लाल बलुई पत्थर से बनी उत्तर पश्चिमी बुर्जी के पत्थरों को 375 साल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने पहली बार बदला है। यमुना किनारे की उत्तर पश्चिमी बुर्जी के गुंबद के पत्थर और पिलर के ब्रेकेट एक साथ बदले गए हैं।
ताजमहल में शाही मस्जिद की ओर चमेली फर्श पर बनी उत्तर पश्चिमी बुर्जी पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने 45 लाख रुपये की लागत से संरक्षण कार्य शुरू कराया है। लाल पत्थर से बनी बुर्जी के गुंबद, मेहराब, छज्जे, खंभे और छज्जों के नीचे बने डिजाइन वाले ब्रेकेट और क्लैंप को बदला गया है। एक साथ किया जा रहा यह संरक्षण कार्य बेहद मुश्किल था लेकिन एएसआई ने इसे चुनौती के रूप में लिया। यमुना किनारे की यह बुर्जी बेहद जर्जर हो चुकी थी, जिसके फोटो पर्यटक खींचकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर रहे थे।
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