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रविवार के दिन विश्वविद्यालय पहुंची एसटीएफ की टीम
– फोटो : अमर उजाला
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डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति रहे प्रो. विनय पाठक के कमीशनखोरी की जांच करने के लिए एजेंसी को किए गए भुगतान के बिल जब्त किए हैं। ये बिल करीब चार करोड़ रुपये के बताए गए हैं। एसटीएफ ने विश्वविद्यालय के अधिकारी और कर्मचारियों से पूछताछ भी की है।
रविवार को अवकाश के दिन भी विश्वविद्यालय के सात विभाग खोले गए थे। कमीशनखोरी की जांच के लिए दोपहर में एसटीएफ जांच करने के लिए पहुंची। यहां प्रो. पाठक के कार्यकाल (जनवरी से सितंबर) तक परिणाम बनाने वाली डिजीटैक्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट कंपनी को किए गए भुगतान के बिल जुटाए हैं। एजेंसी को किस तिथि में कितनी धनराशि जारी की, कितने कार्य होने पर धनराशि देनी थी, किस खाते से रुपया स्थानांतरित किया। ऐसी तमाम जानकारी अधिकारियों से की है।
इसी एजेंसी पर विश्वविद्यालय की परीक्षा संबंधी संचालन का कार्य है। इसका मालिक डेविड मारियो डेनिस है। इसने ही प्रो. पाठक पर कमीशनखोरी का आरोप लगाते हुए एफआईआर कराई है। इसमें प्रो. पाठक के सहयोग अजय मिश्रा पर अवैध वसूली में सहयोग करता था।
कुलपति के ये प्रमुख कार्य भी जांच की जद में
संस्कृति भवन: संस्कृति भवन का निर्माण कार्य अधूरा था। इन्होंने अधूरे निर्माण के बीच ही इसका उद्घाटन करवाया। इसके निर्माण में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत बजट में धांधली का आरोप है।
डिजिटलाइजेशन: इनके कार्यकाल में डिजी लॉकर और चार्ट समेत अन्य दस्तावेजों का डिजिटलाइजेशन कार्य भी हुआ। इसमें कर्मचारियों ने भी पारदर्शिता न बरतने का आरोप लगाया था।
चार्ट की स्कैनिंग: परीक्षा विभाग, गोपनीय विभाग, माइग्रेशन, पुस्तकालय समेत अन्य के दस्तावेजों की स्कैनिंग का कार्य भी इन्हीं के कार्यकाल में शुरू हुआ। अभी ये कार्य चल रहा है।
सेंटर निर्धारण: 2021-22 सत्र में परीक्षा केंद्र निर्धारण में भी धांधली के आरोप लगे। औटा ने बिना संसाधन वाले कॉलेज और दागी कॉलेजों को केंद्र बनाने का आरोप लगाया।
पांच निदेशक हटाए: इन्होंने नए कुलपति की नियुक्ति से चंद दिनों पहले पांच संकायों के निदेशक को हटा दिया। इसमें कई वरिष्ठों की अनदेखी की। इसकी राजभवन में भी शिकायत की।
शिक्षकों की नियुक्ति: इनके कार्यकाल में स्थायी, संविदा और अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति हुई। इन पर गलत तरीके से विज्ञापन जारी करने का भी आरोप लगा।
संविदा समाप्त: इन्होंने अतिथि और संविदा शिक्षकों की सेवाएं विस्तार नहीं कीं। इससे कई संकाय में शिक्षकों की कमी हुई। इनके निर्णय के खिलाफ शिक्षकों ने कोर्ट की शरण भी ली है।
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