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मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचने के बाद जांच एसटीएफ को दी गई है। शुक्रवार को एसपी एसटीएफ राकेश यादव के नेतृत्व में निरीक्षक हुकुम सिंह और यतेंद्र शर्मा सहित अन्य कर्मचारी विश्वविद्यालय पहुंचे। एसटीएफ के पहुंचने पर विश्वविद्यालय में हड़कंप मच गया। कर्मचारी सीट छोड़कर चले गए। एसपी सबसे पहले परीक्षा नियंत्रक के पास पहुंचे। उन्होंने परीक्षा से जुड़े कर्मचारियों की सूची मांगी। रिकॉर्ड तलब किया।
परीक्षा से संबंधित कई महत्वपूर्ण जानकारी ली। एजेंसी के कार्य के बारे में पता किया। यह पूछा कि परीक्षा संबंधी कार्य में कितने स्थायी और अस्थायी कर्मचारी लगे हैं। कितने सुरक्षा कर्मी लगे हैं। यह कार्य कैसे होता है? एजेंसी तक कापियां कौन पहुंचाता है? पूछा कि कि कौन से कर्मचारी को क्या जिम्मेदारी है? वह कहां रहते हैं और उनके मोबाइल नंबर क्या हैं? चार्ट रूम में भी टीम पहुंची। इससे कर्मचारियों की धड़कन बढ़ी रहीं।
कहां बनेगा कैंप कार्यालय?
विश्वविद्यालय परिसर में ही एसटीएफ का कैंप कार्यालय भी बनाया जाना है। एसटीएफ ने पूछताछ के बाद कैंप कार्यालय के लिए स्थान को देखा। कुलपति सचिवालय के पास निर्माणाधीन आवास को भी कैंप कार्यालय बनाने पर विचार किया गया। विश्वविद्यालय में कैंप कार्यालय बनने के बाद एसटीएफ कर्मचारियों को बुलाएगी। परिसर में ही कार्यालय होने पर कर्मचारियों से पूछताछ में भी आसानी रहेगी। कर्मचारी भी आराम से आ जाएंगे। टीम को भी किसी तरह की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा।
एसआईटी का रिकॉर्ड भी लिया
एसटीएफ ने एसआईटी से संबंधित रिकॉर्ड भी लिया है। पूर्व में विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था। एसआईटी ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी अपने कब्जे में ले लिए हैं। एसटीएफ पुराने मामलों की जांच भी करेगी। जिन मामलों में अभी तक जांच पूरी नहीं हो सकी है, उनको भी देखा जाएगा। इस दौरान कर्मचारियों से भी पूछताछ होगी। एसटीएफ एसआईटी का रिकॉर्ड भी खंगाल रही है।
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