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ताजमहल
– फोटो : अमर उजाला
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यमुना नदी की सफाई और सिल्ट हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने नई उम्मीदों को जगा दिया है। 60 साल में यमुना नदी में जमा हो रही सिल्ट ने स्मारकों और घाटों को दफन कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फिर से बसई घाट, हाथी घाट, एत्माददौला, रामबाग और चीनी का रोजा समेत नदी किनारे के स्मारकों के हिस्से नजर आ सकेंगे।
ताजमहल के पूर्वी गेट पर दशहरा घाट और पश्चिमी गेट पर बसई घाट है। दशहरा घाट और इसकी सीढि़यां तो दिखाई देती हैं, लेकिन पश्चिमी गेट पर बसई घाट की सीढि़यां और घाट नजर नहीं आते। दरअसल, यमुना नदी की सिल्ट और गंदगी जमा होने के कारण बसई घाट का अस्तित्व ही खत्म हो गया, जबकि 60 साल पहले की तस्वीरों में बसई घाट की लाल पत्थर से बनी सीढि़यां और घाट स्पष्ट नजर आते हैं।
घाट के आगे जिस तरह से दशहरा घाट पर नदी में कुएं नजर आते हैं, वैसे ही ताजमहल की नींव की तरह बनाए गए कुएं बसई घाट पर भी थे। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पास इस घाट की तस्वीरें हैं, वहीं आस्टि्रयाई इतिहासकार ईवा कोच की पुस्तक में भी बसई घाट की सीढि़यों के चित्र प्रकाशित किए गए हैं। अब यमुना नदी की सिल्ट में यह दफन हो चुके हैं।
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