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कासगंज में धावक माला को नए जूते और अन्य खेल सामग्री देतीं एसओ महिला थाना मनिता चौधरी।
– फोटो : KASGANJ
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कासगंज। संसाधनों के अभाव से जूझ रही माला को मदद का दीपक मिल गया है। इससे जगमगाने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। माला राज्यस्तर पर पदक जीत चुकी हैं। अब देश का प्रतिनिधित्व करने की तमन्ना है।
संसाधनों का अभाव किसी के जुनून में बाधा नहीं बन सकता। यह माला ने साबित कर दिया है। रफ्तार की यह जादूगरनी हवा से बातें करती है। सुबह सोरों स्थित खेल के मैदान में दौड़ लगाने के दौरान पुलिस कर्मी हरजीत का ध्यान माला के तेज क
दमों से ज्यादा फटे जूतों पर पहुंचा। माला रुकीं तो हरजीत उसके पास पहुंचे। तब पता लगा कि यह धाविका शहर के रेखा देवी इंटर कालेज में दसवीं की छात्रा माला (14) है। वह यूपी एथलेटिक्स एसोसिएशन की तरफ से 200 मीटर दौड़ में राज्यस्तर पर रजत और विद्यालय की ओर से खेलते हुए राज्यस्तर पर जूडो में कांस्य पदक जीत चुकी हैं। हालात प्रतिकूल हैं। क्षेत्र के नगला पोपी निवासी माला के पिता जगदीश सिंह छोटे से जमीन के टुकड़े पर खेती कर मुश्किल से परिवार का भरण पोषण करते हैं। मां बीमार रहती हैं। पिता के सिर पर माला के अलावा उसके भाई-बहन को पढ़ाने की भी जिम्मेदारी है। एक बहन की शादी हो चुकी है। घर के नाम पर कच्ची मिट्टी की दीवारों पर पड़ा छप्पर है।
खेलो इंडिया सेंटर के जनपद कोच हीरा सिंह ने उसे स्टेडियम में फिलहाल कमरा दे रखा है। इससे कि प्रैटिक्स में बाधा न आए। इसके बाद भी समस्याएं हैं। खिलाड़ी की जरूरत के अनुसार पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता है। जरूरी सामान भी नहीं है। इसके बाद भी हौसले बुलंद हैं। माला की यह व्यथा हरजीत ने पत्नी नमिता चौधरी को बताई। एसओ महिला थाना नमिता ने माला को बुलाकर जरूरी जूते और अन्य सामान दिलवाया। नमिता ने कहा कि वह हर संभव मदद करेंगी।
घर पर ही बना लिया प्रोटीन पाउडर
खुराक के बारे में माला ने बताया कि परिवार तंगहाली से गुजर रहा है। इतने पैसे नहीं हैं कि बाजार से प्रोटीन पाउडर या अन्य चीजें खरीद सकें। इससे घर पर चने, मिसरी और अन्य सहज उपलब्ध चीजें पीसकर पाउडर बना लिया है। इससे सुबह खा लेती हूं। कभी दूध मिलता तो कभी नहीं। खाने में भी दाल, चावल और रोटी मिल जाती है। यह ही बहुत है। वह खुद से खाना बनाती हैं। पढ़ाई और प्रैक्टिस भी करती हैं। सेहत के लिए अन्य पोषक तत्व मिल सकें इसके लिए जरूरी सामान खरीदने के पैसे नहीं हैं।
शासन से मदद मिले तो परेशानियां हों दूर
माला का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि शासन उनकी मदद करेगा। वह अपने विद्यालय के अध्यापक राकेश से साथ मदद के लिए जिलाधिकारी हर्षिता माथुर से मिल चुकी हैं। वह चाहती हैं कि अंतरराष्ट्रीय धावक बनने के लिए उन्हें जरूरी संसाधन उपलब्ध कराए जाएं। इससे कि वह अपना सपना साकार कर सकें।
कासगंज। संसाधनों के अभाव से जूझ रही माला को मदद का दीपक मिल गया है। इससे जगमगाने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। माला राज्यस्तर पर पदक जीत चुकी हैं। अब देश का प्रतिनिधित्व करने की तमन्ना है।
संसाधनों का अभाव किसी के जुनून में बाधा नहीं बन सकता। यह माला ने साबित कर दिया है। रफ्तार की यह जादूगरनी हवा से बातें करती है। सुबह सोरों स्थित खेल के मैदान में दौड़ लगाने के दौरान पुलिस कर्मी हरजीत का ध्यान माला के तेज क
दमों से ज्यादा फटे जूतों पर पहुंचा। माला रुकीं तो हरजीत उसके पास पहुंचे। तब पता लगा कि यह धाविका शहर के रेखा देवी इंटर कालेज में दसवीं की छात्रा माला (14) है। वह यूपी एथलेटिक्स एसोसिएशन की तरफ से 200 मीटर दौड़ में राज्यस्तर पर रजत और विद्यालय की ओर से खेलते हुए राज्यस्तर पर जूडो में कांस्य पदक जीत चुकी हैं। हालात प्रतिकूल हैं। क्षेत्र के नगला पोपी निवासी माला के पिता जगदीश सिंह छोटे से जमीन के टुकड़े पर खेती कर मुश्किल से परिवार का भरण पोषण करते हैं। मां बीमार रहती हैं। पिता के सिर पर माला के अलावा उसके भाई-बहन को पढ़ाने की भी जिम्मेदारी है। एक बहन की शादी हो चुकी है। घर के नाम पर कच्ची मिट्टी की दीवारों पर पड़ा छप्पर है।
खेलो इंडिया सेंटर के जनपद कोच हीरा सिंह ने उसे स्टेडियम में फिलहाल कमरा दे रखा है। इससे कि प्रैटिक्स में बाधा न आए। इसके बाद भी समस्याएं हैं। खिलाड़ी की जरूरत के अनुसार पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता है। जरूरी सामान भी नहीं है। इसके बाद भी हौसले बुलंद हैं। माला की यह व्यथा हरजीत ने पत्नी नमिता चौधरी को बताई। एसओ महिला थाना नमिता ने माला को बुलाकर जरूरी जूते और अन्य सामान दिलवाया। नमिता ने कहा कि वह हर संभव मदद करेंगी।
घर पर ही बना लिया प्रोटीन पाउडर
खुराक के बारे में माला ने बताया कि परिवार तंगहाली से गुजर रहा है। इतने पैसे नहीं हैं कि बाजार से प्रोटीन पाउडर या अन्य चीजें खरीद सकें। इससे घर पर चने, मिसरी और अन्य सहज उपलब्ध चीजें पीसकर पाउडर बना लिया है। इससे सुबह खा लेती हूं। कभी दूध मिलता तो कभी नहीं। खाने में भी दाल, चावल और रोटी मिल जाती है। यह ही बहुत है। वह खुद से खाना बनाती हैं। पढ़ाई और प्रैक्टिस भी करती हैं। सेहत के लिए अन्य पोषक तत्व मिल सकें इसके लिए जरूरी सामान खरीदने के पैसे नहीं हैं।
शासन से मदद मिले तो परेशानियां हों दूर
माला का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि शासन उनकी मदद करेगा। वह अपने विद्यालय के अध्यापक राकेश से साथ मदद के लिए जिलाधिकारी हर्षिता माथुर से मिल चुकी हैं। वह चाहती हैं कि अंतरराष्ट्रीय धावक बनने के लिए उन्हें जरूरी संसाधन उपलब्ध कराए जाएं। इससे कि वह अपना सपना साकार कर सकें।
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