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पिता सूरज ने वृंदावन कोतवाली में आरती की गुमशुदगी दर्ज करा रखी थी। पुलिस मामले में जांच कर रही थी कि मार्च 2016 में थाना मगोर्रा क्षेत्र में एक महिला का शव नहर में मिला। पिता का कहना है कि फोटो देखकर उसने आरती के शव की शिनाख्त की। इसके बाद गुमशुदगी हत्या में तरमीम कर पुलिस ने सोनू और उसके दोस्त गोपाल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। हत्या के आरोप में सोनू और गोपाल ने जेल भी काटी। जमानत मिलने के बाद दोनों ने आरती को तलाश कर लिया।
पुलिस ने डंडे के बल पर कबूल कराया था आरोप
आरती की हत्या में पुलिस ने सोनू और गोपाल को गिरफ्तार कर उन्हें टॉर्चर किया। सोनू ने बताया कि वर्ष 2016 में जब एसओजी और वृंदावन पुलिस उनको गिरफ्तार करके लाई तो पुलिस ने उनके साथ हर तरह की ज्यादती की। कई रात भूखा और प्यासा रखा, मारपीट की। आपबीती सुनाते-सुनाते सोनू की आंखों में डर दिखाई दिया।
जो नहीं किया, उसे भी किया कबूल
सोनू ने बताया कि वृंदावन कोतवाली में एसओजी टीम ने नाखून उखाड़ लिए। उंगलियां मोड़ दीं। यहां तक कहा कि एनकाउंटर में मार डालेंगे। सात दिन के रिमांड में हड्डियां तोड़ देंगे। कहा कि मर्डर का जुर्म गोपाल के सिर डालकर तुम्हें बचा लेंगे। डर से हमने जुर्म कबूल कर लिया था। गोपाल ने बताया कि पुलिस ने कहा कि तुम्हारे फोन से कॉल किए गए हैं। तुम पर भी केस लगेगा। रिमांड में तुम्हारी पिटाई करेंगे। पिटाई से बचने के लिए पुलिस ने जो कहा हमने किया और पुलिस के बनाए गए कागजनों पर साइन कर दिए।
सीबीआई जांच की मांग
सोनू और गोपाल ने बताया कि उनको उस कार्य की सजा मिली जो उन्होंने किया ही नहीं। हमने पुलिसवालों से कहा कि हम निर्दोष हैं, लेकिन किसी ने एक नहीं सुनी। जो आता हमारे साथ मारपीट करता। मामले की सीबीआई जांच हो और हमारे साथ बदसलूकी करने वाले पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई की जाए।
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