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षष्ठीपूर्ति महोत्सव
– फोटो : अमर उजाला
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वृंदावन में अपने जन्मदिन पर आयोजित षष्ठी पूर्ति महोत्सव में साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि माता-पिता ने उनका नाम निशा रखा था। गुरु युगपुरुष स्वामी परमानंद महाराज द्वारा पहले ज्ञान ज्योति और दीक्षा प्रदान करने पर उन्होंने ऋतंभरा नाम दिया। उन्होंने अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए मेरे सतगुरु दीनदयाल काग से हंस बनाते हैं…भजन पेश किया।
उन्होंने कहा कि उनके गुरु ने मंत्र दिया कि जो बटोरा जाता है वो विषाद होता है, जो बांटा जाता है वह प्रसाद होता है। निश्चल प्रेम के अतिरिक्त कुछ श्रेष्ठ नहीं होता। उन्होंने भावुक मन से गुरुदेव के दिए मंत्र को कविता में पिरोकर सुनाया..प्रेम प्यार के हीरे मोती दोनों हाथ लुटाओ, जिसका पकड़ो हाथ साथियों उसका साथ निभाओ। उन्होंने कहा कि वह जब अयोध्या को देखती थी तो चित्त में शूल सा लगता था कि लखनऊ का वैभव और अयोध्या की वीरानी व्याकुल कर देती थी। यह भारत की धरती का भाग्य है कि नरेंद्र मोदी जैसे प्रधानमंत्री मिल गए और राम मंदिर का निर्माण हुआ।
उन्होंने कहा कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने जब भारत की परंपरा को निभाते हुए राफेल पर स्वास्तिक चिह्न बनाकर नारियल फोड़ा तो दुनिया ने बहुत हल्ला मचाया। उन्होंने कहा कि जब वह यूपी के मुख्यमंत्री थे तो फैशन शो को भारत की परंपरा में अशोभनीय बताया था तो उन्होंने प्रदेश में फैशन शो पर रोक लगा दी थी। उन्होंने कहा कि जब रामजन्मभूमि आंदोलन में मंहत अवेद्यनाथ महाराज के सानिध्य लड़ाई लड़ी, तब दिगंबर अखाड़ा के रामचंद्र परमहंस महाराज और अवेद्यनाथ महाराज का मिलन होता थाबौर अयोध्या की धरती पर हंसी के फुहारे फूटते थे। बड़ी समस्याओं के समाधान हल हो जाते थे। उनकी परंपरा के वाहक योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से सनातनियों के चित्त में छाई निराशा दूर हो गई और आशा के दीप जल गए।
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