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अलीगंज। कनाडा में 15 साल से रह रहे गांव वरना के तरुण पांडेय की मौत के बाद परिजन को उनका चेहरा तक देखने को नहीं मिला। 23 अगस्त को तरुण का निधन हुआ था। इसके बाद से शव वहां रखा हुआ था। तमाम प्रयासों के बाद भी उसे भारत लाने की अनुमति नहीं मिल पाई। वहां के प्रशासन ने भारतीय समयानुसार बृहस्पतिवार की रात परिजनों की गैर मौजूदगी में अंतिम संस्कार करा दिया। अब परिजन उनकी अस्थियां मुहैया कराए जाने के लिए गुहार लगा रहे हैं।
अलीगंज तहसील क्षेत्र के गांव वरना निवासी सुभाष चंद्र पांडेय के बड़े पुत्र तरुण पांडेय अपनी पत्नी रंजना को लेकर करीब 15 साल पहले कनाडा गए था। वहीं लेबर कांट्रेक्टर का काम करते थे। छोटे भाई निखार पांडेय ने बताया कि भाभी रंजना का व्यवहार उनके प्रति अच्छा नहीं था। पुत्र पलाश को लेकर वह अलग रहने लगीं। इसके बाद से भैया अवसाद में घिरते गए और बीमार रहने लगे। कुछ दिन पहले विक्टोरिया हॉस्पीटल, कनाडा में भर्ती किया गया। वहां 23 अगस्त को उनकी मौत हो गई। जिसकी सूचना हमें दी गई। इसके बाद उनका शव लाने के लिए हम लोगों ने तमाम प्रयास किए, लेकिन उनकी पत्नी रंजना ने इसके लिए अनुमति ही नहीं दी। स्वयं भी शव को मोर्चरी से नहीं लिया। वहां के स्थानीय प्रशासन ने भारतीय समय के अनुसार बृहस्पतिवार की रात विद्युत शवदाह में अंतिम संस्कार कर दिया। अस्थियों को रखा गया। हम लोग चाहते हैं कि शव तो नहीं मिला, अस्थियां ही मिल जाएं। जिससे उनका धार्मिक रूप से प्रवाह किया जा सके।
कनाडा के कानून के मुताबिक मृतक के शव से संबंधित सभी अधिकार उसकी पत्नी को ही होते हैं। भाई निखार पांडेय ने बताया कि रंजना ने मोर्चरी में लिखकर दिया था कि शवदाह के दौरान किसी को भी वहां प्रवेश न दिया जाए। न ही इसके वीडियो आदि किसी को उपलब्ध कराए जाएं।
निखार पांडेय ने बताया कि भले ही हमें शव नहीं मिल सका, लेकिन हिंदू रीति रिवाज के अनुसार मृत्यु के बाद होने वाली सभी क्रियाएं हम लोग कराएंगे। 12 सितंबर को शुद्धि की जाएगी, जबकि 20 सितंबर को तेरहवीं का आयोजन होगा।
अलीगंज। कनाडा में 15 साल से रह रहे गांव वरना के तरुण पांडेय की मौत के बाद परिजन को उनका चेहरा तक देखने को नहीं मिला। 23 अगस्त को तरुण का निधन हुआ था। इसके बाद से शव वहां रखा हुआ था। तमाम प्रयासों के बाद भी उसे भारत लाने की अनुमति नहीं मिल पाई। वहां के प्रशासन ने भारतीय समयानुसार बृहस्पतिवार की रात परिजनों की गैर मौजूदगी में अंतिम संस्कार करा दिया। अब परिजन उनकी अस्थियां मुहैया कराए जाने के लिए गुहार लगा रहे हैं।
अलीगंज तहसील क्षेत्र के गांव वरना निवासी सुभाष चंद्र पांडेय के बड़े पुत्र तरुण पांडेय अपनी पत्नी रंजना को लेकर करीब 15 साल पहले कनाडा गए था। वहीं लेबर कांट्रेक्टर का काम करते थे। छोटे भाई निखार पांडेय ने बताया कि भाभी रंजना का व्यवहार उनके प्रति अच्छा नहीं था। पुत्र पलाश को लेकर वह अलग रहने लगीं। इसके बाद से भैया अवसाद में घिरते गए और बीमार रहने लगे। कुछ दिन पहले विक्टोरिया हॉस्पीटल, कनाडा में भर्ती किया गया। वहां 23 अगस्त को उनकी मौत हो गई। जिसकी सूचना हमें दी गई। इसके बाद उनका शव लाने के लिए हम लोगों ने तमाम प्रयास किए, लेकिन उनकी पत्नी रंजना ने इसके लिए अनुमति ही नहीं दी। स्वयं भी शव को मोर्चरी से नहीं लिया। वहां के स्थानीय प्रशासन ने भारतीय समय के अनुसार बृहस्पतिवार की रात विद्युत शवदाह में अंतिम संस्कार कर दिया। अस्थियों को रखा गया। हम लोग चाहते हैं कि शव तो नहीं मिला, अस्थियां ही मिल जाएं। जिससे उनका धार्मिक रूप से प्रवाह किया जा सके।
कनाडा के कानून के मुताबिक मृतक के शव से संबंधित सभी अधिकार उसकी पत्नी को ही होते हैं। भाई निखार पांडेय ने बताया कि रंजना ने मोर्चरी में लिखकर दिया था कि शवदाह के दौरान किसी को भी वहां प्रवेश न दिया जाए। न ही इसके वीडियो आदि किसी को उपलब्ध कराए जाएं।
निखार पांडेय ने बताया कि भले ही हमें शव नहीं मिल सका, लेकिन हिंदू रीति रिवाज के अनुसार मृत्यु के बाद होने वाली सभी क्रियाएं हम लोग कराएंगे। 12 सितंबर को शुद्धि की जाएगी, जबकि 20 सितंबर को तेरहवीं का आयोजन होगा।
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