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प्रो. विनय पाठक
– फोटो : अमर उजाला
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डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में प्रभारी कुलपति रहे प्रो. विनय कुमार पाठक के समय संविदा शिक्षकों की भर्ती में भी नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं। संविदा (शॉर्ट टर्म) व अतिथि शिक्षकों के सत्र 2022-23 में अध्यापन कार्य के लिए विज्ञापन दिया गया। नियुक्ति देने में भेदभाव हुआ। चहेतों को 3 वर्ष और बाकी को एक सत्र की संविदा दी गई।
आगरा विश्वविद्यालय में कंप्यूटर साइंस/यूनिवर्सिटी कंप्यूटर सेंटर, फैकल्टी ऑफ आर्ट्स (सेठ पदमचंद जैन प्रबंध संस्थान), फैकल्टी ऑफ आर्ट्स (बीए), इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म एंड होटल मैनेजमेंट, ललित कला संस्थान, सेठ पदमचंद जैन संस्थान, शारीरिक शिक्षा विभाग, छलेसर कैंपस, कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी हिंदी एवं भाषा विज्ञान विद्यापीठ, इंस्टीट्यूट ऑफ बेसिक साइंस, दाऊदयाल इंस्टीट्यूट ऑफ बेसिक साइंस, स्कूल ऑफ लाइफ साइंस, लाइब्रेरी एंड इन्फार्मेशन साइंस के सेल्फ फाइनेंस पाठ्यक्रमों के विभिन्न विषयों में 36 संविदा शिक्षकों की नियुक्ति हुई है।
विभागीय सूत्रों का कहना है कि पाठ्यक्रमों की अवधि एक होने और विज्ञापन में संविदा की अवधि अलग-अलग होने का प्रावधान न किए जाने के बाद भी नियुक्ति देने में अंतर किया गया। 11 शिक्षकों को तीन-तीन वर्ष के लिए नियुक्ति दी गई है। बाकी सत्र 2022-23 की समाप्ति या अनुबंधित नियुक्ति होने तक, जो भी पहले हो, तक रखी गई है।
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तीन वर्ष को भी शॉर्ट टर्म लिखा गया
खास बात यह है कि जिन संविदा शिक्षकों को तीन वर्ष के लिए नियुक्ति दी गई है, नियुक्ति पत्र में उनके आगे भी शॉर्ट टर्म लिखा गया है। अभ्यर्थी के अनुरूप उसकी नियुक्ति की समय सीमा रखी गई है। विशेषज्ञों के अनुसार यदि विभिन्न विषयों में नियुक्ति की अवधि अलग-अलग रखी जानी थी तो विज्ञापन में उसका उल्लेख किया जाना चाहिए था। विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. विनोद कुमार सिंह का कहना है कि नियुक्ति पत्र में जिन संविदा शिक्षकों के सामने समयावधि नहीं दी गई है, उनका कार्यकाल चालू सत्र के लिए ही होगा। जिनके आगे तीन वर्ष लिखा गया है, वह तीन वर्ष के लिए हैं। नियुक्ति की अवधि में अंतर नहीं होना चाहिए। पता नहीं किन परिस्थितियों में यह निर्णय लिया गया था।
साक्षात्कार के अंक सार्वजनिक नहीं
संविदा शिक्षकों की नियुक्ति के लिए लिखित परीक्षा 4 सितंबर को हुई। 7 व 8 को परिणाम दिया गया। 9 से 11 सितंबर तक साक्षात्कार हुए। साक्षात्कार के अंक सार्वजनिक नहीं किए गए। राज्यपाल की ओर से जारी दिशा-निर्देश के अनुरूप लिखित परीक्षा व साक्षात्कार में 15 दिन का अंतराल दिया जाना था, उस पर भी अमल नहीं किया गया।
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