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चांदी की पालकी में विराजे भगवान रंगनाथ
– फोटो : अमर उजाला
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मथुरा के वृंदावन में स्थित दक्षिण भारतीय शैली के रंगनाथ मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा पर भव्य दीपदान किया गया। इस अवसर पर मंदिर में 21 हजार दीपक जलाए गए। इस उत्सव को कृतिका दीपोत्सव कहा जाता है। मंदिर में सौर पंचांग को वरीयता दी जाती है। यहां माह का प्रारंभ संक्रांति से होता है। यही वजह है कि यहां कार्तिक पूर्णिमा का आयोजन गुरुवार की देर शाम किया गया। कृतिका दीपोत्सव में बड़ी संख्या में भक्त शामिल हुए।
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर जहां उत्तर भारत में देव दीपावली मनाई जाती है, वहीं दक्षिण भारत में इस दिन कृतिका दीपोत्सव मनाया जाता है। कहा जाता है कि कृतिका दीपोत्सव पर बहनें भाइयों की मंगल कामना के लिए भगवान के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करती हैं। चावल की मुड़ी और गुड़ के लड्डू बनाकर प्रसाद लगाया जाता है। जिसके बाद वह प्रसाद भाई और परिवार में सभी को वितरित किया जाता है। इसी भाव के साथ रंगनाथ मंदिर में दशकों से यह परंपरा चली जा रही है।
भक्तों में रहा उल्लास
कृतिका दीपोत्सव के अवसर पर भक्तों में उल्लास देखने को मिला। यहां गुरुवार की देर शाम से ही दीपदान शुरू हो गया। भक्तों ने दीपक जलाए। दीपकों की रोशनी से पूरा मंदिर जगमग हो उठा। रंगनाथ मंदिर में निज मंदिर, परिक्रमा , गरुड़ स्तम्भ, घंटाघर, पुष्करणी, झूला मंडप, बारहद्वारी सभी जगह दीपकों की रोशनी से ऐसा लग रहा था कि एक बार फिर दीवाली मनाई जा रही हो।
कृतिका दीपोत्सव का समापन महाआरती के साथ हुआ। भगवान रंगनाथ माता गोदा के साथ चांदी की पालकी में विराजमान होकर परंपरागत वाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनि के बीच मंदिर के पूर्वी द्वार पर पहुंचे। यहां मंदिर के पुजारियों ने पहले विधि विधान से घास ,फूस से बनाई गई एक झोंपड़ी का पूजन किया। इसके बाद उसमें अग्नि प्रज्वलित कर दी गई। मान्यता है कि वर्ष में एक बार इस तरह से भगवान रंगनाथ की महाआरती की जाती है।
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