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पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय के राजनीतिक करियर की बात करें तो उन्होंने वर्ष 1993 में अपना पहला चुनाव हाथरस विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ा था। उसके बाद उन्होंने वर्ष 1996, 2002, 2007, 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव बसपा के बैनर तले लड़े। जब – जब प्रदेश में बसपा की सरकार बनी, तब-तब रामवीर उपाध्याय कैबिनेट मंत्री बने। रामवीर उपाध्याय ने पहले तीन चुनाव तो हाथरस विधानसभा क्षेत्र से बसपा के उम्मीदवार के रूप में लड़े और जीत हासिल की। उन्होंने एटा जिले के जलेसर लोकसभा क्षेत्र से बसपा के टिकट पर सांसद का चुनाव लड़ा था, लेकिन इस चुनाव में वह तीसरे स्थान पर रहे थे।
उसके बाद वर्ष 2012 में जब हाथरस सीट सुरक्षित हो गई तो उन्होंने यह चुनाव सिकंदराराऊ विधानसभा सीट से लड़ा। इस चुनाव में वह वहां से भी जीते। तदुपरांत 2017 का चुनाव उन्होंने बसपा से ही सादाबाद विधानसभा क्षेत्र से लड़ा और यहां से भी जीत हासिल की। लगातार 25 वर्ष के राजनीतिक करियर में विजयी रहने के बाद इस वर्ष 2022 में उन्होंने पाला बदला और भाजपा में शामिल हो गए।
बीमार रहने के बावजूद उन्होंने यह चुनाव भी लड़ा, लेकिन राष्ट्रीय लोकदल के प्रदीप चौधरी उर्फ गुड्डू ने इस चुनाव में हरा दिया। रामवीर उपाध्याय के अन्य परिजन भी महत्वपूर्ण राजनीतिक पदों पर रहे हैं। उनकी पत्नी सीमा उपाध्याय वर्तमान में जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। इससे पूर्व सीमा उपाध्याय बसपा के टिकट पर फतेहपुर सीकरी से वर्ष 2009 में सांसद भी रह चुकी हैं। उन्होंने सिने अभिनेता राजब्ब्बर को हराया था। रामवीर के भाई मुकुल उपाध्याय इगलास से विधायक और उसके बाद एमएलसी रहे हैं।
रामवीर उपाध्याय के दूसरे भाई विनोद उपाध्याय जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं। उनके छोटे भाई रामेश्वर उपाध्याय वर्तमान में भी मुरसान के ब्लॉक प्रमुख हैं। निधन की खबर मिलने के बाद देर रात उनके आगरा स्थित आवास पर लोगों का पहुंचना शुरू हो गया था।
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