[ad_1]
ख़बर सुनें
आगरा। जनकपुरी महोत्सव के तीसरे दिन शुक्रवार को दयालबाग स्थित बीएम फार्म हाउस पर राजा जनक के स्वरूप आलोक अग्रवाल और रानी सुनयना की स्वरूप आरती अग्रवाल ने अयोध्या और मिथिला वासियों सहित सभी बरातियों और घरातियों को बड़हार की दावत दी। सजन गोट में स्वर्ण और रजत बर्तनों में सम्मानित लोगों को प्रसादी वितरित की गई। सुसज्जित मंच पर जब भगवान राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और माता जानकी के स्वरूप विराजमान हुए तो लोग गा पड़े सजा दो घर को फूलों से, मेरे घर राम आए हैं…।
सबसे पहले पांचों स्वरूपों की आरती भागवताचार्य सुभाष चंद्र शास्त्री ने गोवर्धन वालों की ओर से उतारी। इसके बाद राजा जनक और रानी सुनयना के स्वरूपों ने परिजनों संग आरती उतारी। समारोह में ब्रज मंडल के कलाकारों ने वंदना, मयूर नृत्य, चरी नृत्य, डांडिया रास, जौहर नृत्य, चरकुला नृत्य, ब्रज की होली, शिव-पार्वती का नृत्य और उड़ते हुए हनुमान जी की झाकी सहित विभिन्न मनोहारी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। देखने वाले मंत्रमुग्ध हो गए।
मिलन की रस्म हुई
राजा जनक ने गुरु वशिष्ठ और राजा दशरथ को दुशाला ओढ़ाकर मिलनी की रस्म अदा की। साथ ही भगवान के चारों स्वरूपों का टीका करके उनको नारियल का गोला भेंट किया गया। रानी सुनयना के स्वरूप ने जानकी को स्नेह और ममता स्वरूप चुनरी भेंट की।
विस्तार
आगरा। जनकपुरी महोत्सव के तीसरे दिन शुक्रवार को दयालबाग स्थित बीएम फार्म हाउस पर राजा जनक के स्वरूप आलोक अग्रवाल और रानी सुनयना की स्वरूप आरती अग्रवाल ने अयोध्या और मिथिला वासियों सहित सभी बरातियों और घरातियों को बड़हार की दावत दी। सजन गोट में स्वर्ण और रजत बर्तनों में सम्मानित लोगों को प्रसादी वितरित की गई। सुसज्जित मंच पर जब भगवान राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और माता जानकी के स्वरूप विराजमान हुए तो लोग गा पड़े सजा दो घर को फूलों से, मेरे घर राम आए हैं…।
सबसे पहले पांचों स्वरूपों की आरती भागवताचार्य सुभाष चंद्र शास्त्री ने गोवर्धन वालों की ओर से उतारी। इसके बाद राजा जनक और रानी सुनयना के स्वरूपों ने परिजनों संग आरती उतारी। समारोह में ब्रज मंडल के कलाकारों ने वंदना, मयूर नृत्य, चरी नृत्य, डांडिया रास, जौहर नृत्य, चरकुला नृत्य, ब्रज की होली, शिव-पार्वती का नृत्य और उड़ते हुए हनुमान जी की झाकी सहित विभिन्न मनोहारी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। देखने वाले मंत्रमुग्ध हो गए।
मिलन की रस्म हुई
राजा जनक ने गुरु वशिष्ठ और राजा दशरथ को दुशाला ओढ़ाकर मिलनी की रस्म अदा की। साथ ही भगवान के चारों स्वरूपों का टीका करके उनको नारियल का गोला भेंट किया गया। रानी सुनयना के स्वरूप ने जानकी को स्नेह और ममता स्वरूप चुनरी भेंट की।
[ad_2]
Source link