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आगरा। पूर्वांचल का प्रमुख छठ पूजा का पर्व शुक्रवार को नहाय खाय के साथ शुरू होगा। सूर्य देव को अर्घ्य देने और पूजन के चार दिवसीय पर्व की तैयारियां घरों में शुरू हो चुकी हैं। छठ के खास व्यंजन बनाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन यमुना के घाटों पर साफ सफाई नहीं कराई गई है।
नहाय खाय पर महिलाएं घर पर ही सूर्यदेव को अर्घ्य देकर चने की दाल, लौकी की सब्जी से व्रत का पारायण करती हैं। खरना के दिन व्रती महिलाएं उपवास रखती हैं और शाम के समय मिट्टी का नया चूल्हा बनाकर, आम की लकड़ी जलाकर उस पर गुड़ और चावल की खीर बनाकर उस पर गुड़ की खीर का भोग छठी मैया को लगाने के बाद महिलाएं सादा रोटी और गुड़ की खीर का भोजन करती हैं।
नुनिहाई निवासी मिथलेश देवी ने बताया कि खरना के बाद तीसरे दिन सुबह घर की महिलाएं नहाने के बाद छठ मैया और सूर्य देव के लिए प्रसाद तैयार करती है। प्रसाद में ठिकुआ ,खजूर बनाया जाता है और शाम को यमुना किनारे स्थित घाटों पर जाकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगी। 31 अक्टूबर को सुबह सूरज निकलने से पहले घाट पर जाकर उगते हुए सूरज को अर्घ्य दिया जाएगा। जिसके बाद महिलाएं व्रत खोलेंगी।
आगरा। पूर्वांचल का प्रमुख छठ पूजा का पर्व शुक्रवार को नहाय खाय के साथ शुरू होगा। सूर्य देव को अर्घ्य देने और पूजन के चार दिवसीय पर्व की तैयारियां घरों में शुरू हो चुकी हैं। छठ के खास व्यंजन बनाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन यमुना के घाटों पर साफ सफाई नहीं कराई गई है।
नहाय खाय पर महिलाएं घर पर ही सूर्यदेव को अर्घ्य देकर चने की दाल, लौकी की सब्जी से व्रत का पारायण करती हैं। खरना के दिन व्रती महिलाएं उपवास रखती हैं और शाम के समय मिट्टी का नया चूल्हा बनाकर, आम की लकड़ी जलाकर उस पर गुड़ और चावल की खीर बनाकर उस पर गुड़ की खीर का भोग छठी मैया को लगाने के बाद महिलाएं सादा रोटी और गुड़ की खीर का भोजन करती हैं।
नुनिहाई निवासी मिथलेश देवी ने बताया कि खरना के बाद तीसरे दिन सुबह घर की महिलाएं नहाने के बाद छठ मैया और सूर्य देव के लिए प्रसाद तैयार करती है। प्रसाद में ठिकुआ ,खजूर बनाया जाता है और शाम को यमुना किनारे स्थित घाटों पर जाकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगी। 31 अक्टूबर को सुबह सूरज निकलने से पहले घाट पर जाकर उगते हुए सूरज को अर्घ्य दिया जाएगा। जिसके बाद महिलाएं व्रत खोलेंगी।
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