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प्रो. विनय पाठक
– फोटो : अमर उजाला
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आगरा के डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के जिस विभाग में एसटीएफ रिकॉर्ड खंगाल रही है, वहीं खेल पकड़ में आ रहा है। जांच में पता चला है कि प्रभारी कुलपति रहने के दौरान धांधली करते हुए प्रो. विनय पाठक ने बिना जांच और पड़ताल के कॉलेजों के अस्थायी कोर्स को स्थायी कर दिया। जांच में कई चौंकाने वाला खुलासे हो रहे हैं।
विश्वविद्यालय से संबद्ध रहे करीब 250 कॉलेजों में 2017-18 सत्र से कई कोर्स अस्थायी चल रहे थे। इसमें शिक्षकों की संख्या, संसाधन समेत अन्य मानक पूरे नहीं थे। इस कारण विश्वविद्यालय के कुलपति रहे डॉ. अरविंद दीक्षित ने अपने कार्यकाल में एक-एक साल के लिए अस्थायी मान्यता आगे बढ़ाई, लेकिन बीते साल प्रो. पाठक ने इन कॉलेजों में भौतिक सत्यापन और जांच करवाए बिना ही कोर्स को स्थायी मान्यता दे दी।
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इसके लिए इन्होंने कॉलेजों की ओर से केवल एक शपथ पत्र लिया, जिसमें लिखा था कि सभी मानक पूरे कर लिए हैं। नियम यह है कि स्थायी कोर्स करने के लिए विश्वविद्यालय की टीम संबंधित कॉलेज का निरीक्षण कर मानकों का आकलन करने के बाद रिपोर्ट देती है। आरोप है कि इस प्रक्रिया का पालन किए मनमानी रूप से कोर्स स्थायी कर दिए। ऐसे कॉलेजों के रिकॉर्ड एसटीएफ ने जुटाए हैं।
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