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निजी अस्पताल
– फोटो : Fatehabad
विस्तार
आगरा के निजी अस्पतालों में मरीजों के भरोसे से खिलवाड़ हो रहा है। इनमें बोर्ड पर सेवाएं देने वाले चिकित्सकों के नाम दर्ज नहीं किए गए हैं। इससे मरीजों का इलाज कौन कर रहा है, इसका पता नहीं चलता। स्वास्थ्य विभाग भी अस्पतालों का निरीक्षण नहीं कर रहा। शासन ने एक बार फिर पत्र भेजकर सख्ती के निर्देश दिए हैं।
स्वास्थ्य विभाग के यहां करीब 1250 चिकित्सकीय संस्थान पंजीकृत हैं। इसमें अस्पताल, रेडियो डायग्नोस्टिक सेंटर, पैथोलॉजी लैब समेत अन्य हैं। बीते दिनों कई अस्पतालों में मरीज की मौत होने पर हंगामे हुए। स्वास्थ्य विभाग की टीम जांच करने पहुंची तो मरीज का इलाज किसने किया, इसकी भी पता नहीं कर पाई। मरीज के पर्चाें पर डॉक्टर के हस्ताक्षर और नाम नहीं थे।
इस पर सभी अस्पतालों को बोर्ड पर चिकित्सकों की टीम के नाम, उनकी शैक्षणिक योग्यता, विशेषज्ञता, नेशनल मेडिकल कमीशन में पंजीकरण संख्या समेत अन्य जानकारी दर्ज करनी थी। रिसेप्शन, चिकित्सक के चैंबर और अस्पताल के प्रवेश गेट पर सीसीटीवी कैमरे भी लगाना था, जिससे सेवाएं देने वाले चिकित्सक को चिह्नित और अस्पताल में मौजूदगी का भी रिकाॅर्ड रहे। फोटो-वीडियो और एप के जरिये स्वास्थ्य विभाग को भी देनी थी। इसका सभी चिकित्सकीय संस्थानों में अमल में नहीं लाया गया है। इससे मरीजों के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है।
लाइसेंस होंगे निलंबित
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि यूपी क्लीनिक स्टैब्लिशमेंट रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन रूल्स 2016 की धारा 28 के तहत 15 वर्गफुट क्षेत्र के बोर्ड लगाना और अन्य मानक पूरे करने हैं। तीन दिन में स्वास्थ्य विभाग को जानकारी नहीं देने पर टीम निरीक्षण करेगी और लाइसेंस निलंबित करेंगे।
सभी चिकित्सकों को दे रहे निर्देश
आईएमए सचिव डॉ. पंकज नगायच ने बताया कि आईएमए के अधिकांश सदस्यों ने चिकित्सकों की जानकारी समेत अन्य मानकों के बोर्ड लगाए हैं। आईएमए बाकी के सभी चिकित्सकों को तय बोर्ड और अन्य मानकों को पूरा करने के लिए निर्देशित भी कर रहा है।
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