Monday, January 6, 2025
Home Agra People From All Over The World Uniting To Help Elephants In 30 Mile Walk Challenge – 30 मील वॉक चैलेंज: हाथियों की मदद को दुनियाभर से एकजुट हो रहे लोग, लक्ष्मी हथिनी से प्रेरित है अनूठी पहल

People From All Over The World Uniting To Help Elephants In 30 Mile Walk Challenge – 30 मील वॉक चैलेंज: हाथियों की मदद को दुनियाभर से एकजुट हो रहे लोग, लक्ष्मी हथिनी से प्रेरित है अनूठी पहल

by amitsagar
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दुनियाभर के लोग ’30-मील वॉक चैलेंज’ के माध्यम से भारत में हाथियों की मदद करने के लिए एकजुट हो रहे हैं। इस अभियान के तहत प्रतिभागियों ने सितंबर के महीने में 30 मील की दूरी पैदल चलने का फैसला किया है, ताकि वाइल्डलाइफ एसओएस द्वारा बचाए गए हाथियों के लिए चिकित्सा उपचार और देखभाल में आने वाले खर्चे में कुछ सहायता मिल सके।

वन्यजीव संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था वाइल्डलाइफ एसओएस जंगली हाथियों की रक्षा के लिए काम करते हुए पर्यटन, भीख और मनोरंजन उद्योगों से बचाए गए हाथियों को चिकित्सा उपचार और देखभाल प्रदान करती है। ’30-मील वॉक चैलेंज’ 2013 में वाइल्डलाइफ एसओएस द्वारा भीख मांगने वाली हथिनी लक्ष्मी से प्रेरित है। 

मथुरा के फरह स्थित हाथी संरक्षण केंद्र में आने से पूर्व लक्ष्मी हथिनी को मिठाई और तला हुआ भोजन खिलाया जाता था, जिसके कारण उसका वजन बहुत ही ज्यादा अधिक था। लक्ष्मी को रेस्क्यू कर हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र में देखभाल के तहत लाया गया, जिसे वाइल्डलाइफ एसओएस उत्तर प्रदेश वन विभाग के सहयोग से संचालित करती है।

लक्ष्मी हथिनी का अत्यधिक वजन उसके शरीर पर बुरा प्रभाव डाल रहा था। इस बात से चिंतित संस्था के पशु चिकित्सा अधिकारियों ने लक्ष्मी को पौष्टिक आहार पर रखा। नियमित रूप से सुबह शाम वॉक भी प्रारंभ करवाई। यह सुनिश्चित करने के लिए कि उसका वज़न कम हो सके। नतीजन आज लक्ष्मी हथिनी सुरक्षित और स्वस्थ जीवन जी रही है।

एक सितंबर से शुरू हुए ‘30-मील वॉक चैलेंज’ में दुनिया भर से 4,000 से अधिक प्रतिभागी जुड़ चुके हैं। पहल से जुड़े रहे लोग ‘टीम लक्ष्मी’ में शामिल हो रहे हैं, जिसमें वे पूरे महीने में 30 मील की दूरी तय करेंगे, जो लक्ष्मी एक महीने में चलती है। साथ ही साथ हाथियों की देखभाल के लिए दान भी करेंगे। 

वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने कहा कि दुनिया भर से लोगों को हाथियों की मदद करने के लिए इस पहल में हिस्सा लेना और वॉक पर निकलने के लिए समय निकालना प्रेरणादायक है। भारत एशियाई हाथियों की आबादी का अंतिम गढ़ है और हम सभी को यह सुनिश्चित करने के लिए एकजुट होना चाहिए, जिससे यह विरासत संरक्षित रहे। 

वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव गीता शेषमणि ने कहा कि हम उन सभी के आभारी हैं, जो 30-माइल वॉक चैलेंज में भाग ले रहे हैं। इस पहल के माध्यम से हम इन हाथियों की दुर्दशा के बारे में जागरूकता बढ़ा सकते हैं। यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि वाइल्डलाइफ एसओएस में हाथियों को उच्च स्तरीय देखभाल और प्यार ऐसे ही मिलता रहे। 

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