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आगरा में हैरान करने वाला मामला सामने आया है। पित्त में पथरी से पीड़ित महिला को कैंसर बताकर उसका इलाज किया गया। मामला सामने आने पर उपभोक्ता आयोग द्वितीय ने शनिवार को इस पर अपना फैसला सुनाया। आयोग के अध्यक्ष आशुतोष और सदस्यों राजीव सिंह व पारुल कौशिक ने आरोपी चिकित्सक एचएल राजपूत पर 3.70 लाख रुपये मुआवजा और एक लाख रुपये मानसिक पीड़ा क्षतिपूर्ति देने का जुर्माना लगाया।
आवास विकास कॉलोनी सेक्टर छह निवासी सुमन शर्मा ने वर्ष 2005 में उपभोक्ता आयोग द्वितीय में परिवाद दाखिल किया था। उन्होंने हीरा श्री हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, भोगीपुरा के निदेशक डा. एचएल राजपूत, सूर्या डायोग्नस्टिक पैथोलॉजी के डॉ. रविंद्र, लाइफ लाइन मल्टी स्लाइस स्प्रिरल सीटी स्कैन सेंटर खंदारी एवं न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को पक्षकार बनाया। सुमन के अनुसार, सात मई 2004 को पेट में दर्द होने पर डॉ. एके सिंह को दिखाया। उनकी सलाह पर अल्ट्रासाउंड कराया। रिपोर्ट में पित्त की थैली में पथरी होने की पुष्टि हुई। उन्होंने अपनी संतुष्टि के लिए डॉ. एचएल राजपूत के अस्पताल में दिखाया। उन्होंने नौ मई को पित्त की थैली का ऑपरेशन किया। बाद में डॉक्टर ने सूर्या डायोग्नास्टिक से बायोप्सी कराई और रिपोर्ट में उन्हें कैंसर बताया। इसके बाद कैंसर की थेरेपी शुरू कर दी।
सुमन के मुताबिक वह पैथोलॉजी की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं थीं। उन्होंने लाइफ लाइन मल्टी स्लाइस स्प्रिरल सीटी स्कैन सेंटर आजाद नगर में जांच कराई। वही बताया गया। उन्होंने दिल्ली गेट स्थित पैथोलॉजी पर जांच कराई तो रिपोर्ट में कैंसर की पुष्टि नहीं हुई। इस पर उन्होंने नेहरू नगर कैंसर विशेषज्ञ डॉ. अतुल गुप्ता को दिखाया। चिकित्सक ने उनकी दो जांच कराईं, जिसमें कैंसर के लक्षण नहीं मिले। इस तरह गलत रिपोर्ट के कारण उन्हें कैंसर की दवाओं का सेवन करना पड़ा, जिससे उन पर आर्थिक बोझ पड़ा। उनके शरीर में कई गंभीर बीमारियों ने जन्म ले लिया।
आयोग ने माना डॉक्टर को दोषी
उपभोक्ता आयोग द्वितीय ने परिवाद में दोनों पक्ष के तर्क सुनने के बाद पाया कि डॉ. एचएल राजपूत ने कैंसर विशेषज्ञ न होते हुए भी महिला में संभावित कैंसर के गुण नष्ट करने की थेरेपी की। एक वरिष्ठ चिकित्सक ने उच्च चिकित्सीय मानकों को नजरंदाज करते हुए घोर लापरवाही की है। दोनों पैथोलॉजी ने भी आयोग में अपना पक्ष रखा। उनका कहना था कि जांच में ओपनियन दी थी। कैंसर होने की रिपोर्ट नहीं दी थी। जिस पर आयोग ने दोनों पर जुर्माना नहीं लगाया।
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