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विधायक बाबूलाल चौधरी
– फोटो : अमर उजाला
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आगरा के 32 साल पुराने बहुचर्चित पनवारी कांड में भाजपा विधायक चौधरी बाबूलाल सहित आठ आरोपी अदालत से बरी हो गए थे। वादी भरत सिंह कर्दम ने अदालत के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की है। उच्च न्यायालय ने अपील स्वीकार करते हुए आगरा की विशेष न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट में विचार और कार्रवाई से संबंधित पत्रावलियां तलब की हैं। राज्य सरकार से भी जवाब मांगा है। सुनवाई के लिए 5 दिसंबर नियत की है।
जाटव महापंचायत के पदाधिकारियों ने रविवार को इस संबंध में प्रेसवार्ता करके जानकारी दी। इसमें वादी भरत सिंह कर्दम भी मौजूद रहे। उनका कहना था कि वर्ष 1990 में पनवारी कांड हुआ था। इस मामले में 4 अगस्त को एमपी-एमएलए कोर्ट ने फैसला सुनाया था। इसके खिलाफ वादी भारत सिंह कर्दम ने हाईकोर्ट के अधिवक्ता केके द्विवेदी के माध्यम से उच्च न्यायलाय में अपील दायर की है।
अपील के साथ भरत सिंह कर्दम ने अपने शपथ पत्र में कहा है कि फैसला न्याय पूर्ण नहीं है। उच्च न्यायालय ने अपील को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है। स्पेशल जज एमपी एमएलए नीरज गौतम की कोर्ट से पूरा रिकॉर्ड, अन्य दस्तावेज और कार्रवाई से संबंधित पत्रावलियां तलब की हैं।
गवाहों के मुकरने के मामले में होगी समाज की पंचायत
जाटव महापंचायत के अध्यक्ष धर्मपाल सिंह ने कहा कि 22 जून 1990 को चोखेलाल की बेटी की बरात गांव पनवारी में चढ़ाई जानी थी। मगर, जाट समाज ने बरात नहीं चढ़ने दी। इसकी जानकारी पर शासन प्रशासन के अधिकारी पहुंचे। इस पर बवाल किया गया है। शासन प्रशासन की ओर से पीड़ितों को एक-एक लाख रुपये का मुआवजा दिया गया था। सिकंदरा के तत्कालीन थाना प्रभारी ने मुकदमा दर्ज कराया। इसके बाद चार्जशीट लगाई थी। इसमें कई गवाह थे। गवाहों में तीन गवाह जाटव समाज के थे। रामजीलाल सुमन, करतार सिंह भारती, सुभाष भिलावली थे। इनके गवाही से मुकरने की वजह से आरोपी बरी हो गए। इनके संबंध में समाज की पंचायत बुलाई जाएगी। इसके बाद निर्णय लिया जाएगा। प्रेसवार्ता में अधिवक्ता सुरेश चंद सोनी, राजकुमार सिंघाल, भरत सिंह कर्दम, सुशील कुमार भंडारी, नवल किशोर आदि मौजूद रहे।
यह था मामला
घटनाक्रम 21 जून 1990 का है। सिकंदरा के गांव पनवारी निवासी चोखेलाल की बेटी मुंद्रा की शादी होनी थी। सदर के नगला पद्मा से रामदीन की बरात आई थी। जाट समाज के लोगों ने बरात चढ़ाने का विरोध किया था। इस कारण बरात नहीं चढ़ सकी। दूसरे दिन पुलिस प्रशासन के अधिकारियों की मौजूदगी में बरात चढ़ाई की जा रही थी। तब पांच-छह हजार लोगों की भीड़ ने बरात को चढ़ने से रोका था। पुलिस ने भीड़ को रोकने के लिए बल प्रयोग किया था। फायरिंग तक करनी पड़ी थी। गोली लगने से सोनी राम जाट की मृत्यु हो गई थी। घटना के बाद गांव से लेकर शहर तक हिंसा भड़क गई थी। कर्फ्यू तक लगाया गया था। पीएसी के साथ सेना भी लगी थी। घटना से देश की राजनीति भी गर्मा गई थी। अदालत में सुबूत पेश करने में पुलिस नाकाम रही थी। उस समय मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे। प्रधानमंत्री वीपी सिंह थे। तब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, पत्नी सोनिया गांधी के साथ आगरा आए थे। गांव पनवारी भी गए थे।
मकान दिया, भुगतान नहीं
भरत सिंह कर्दम ने बताया कि घटना के बाद 86 परिवार ने गांव से पलायन किया था। इसमें उनका परिवार भी शामिल है। उत्तर प्रदेश विधानसभा की मंडल समिति ने सभी परिवार को सुरक्षित बसाने के लिए संस्तुति की थी। उन्हें रहने के लिए आवास विकास कालोनी में दो मकान मिले थे। इन मकानों की कीमत 2.69 लाख रुपये थी, जिसका भुगतान प्रशासन को करना था। मगर, यह धनराशि आवास विकास परिषद को नहीं मिल सकी। इसका केस चल रहा है। अधिकारियों से गुहार लगाने पर भी मकान उनके नाम नहीं किया जा रहा है। वह अब पुरानी कीमत पर भुगतान भी करने के लिए तैयार हैं।
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