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Pandit Tularam Honored In Lucknow For His Contribution In Stopping Child Labor

by amitsagar
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बाल श्रम रोकने में योगदान पर लखनऊ में सम्मानित पंडित तुलाराम


By: Inextlive | Updated Date: Tue, 13 Jun 2023 07:32:43 (IST)




बाल श्रम रोके जाने तक मेरी लड़ाई और अभियान जारी रहेगा. अब तक 22 हजार से अधिक बच्चों को बाल श्रम से मुक्त करा शिक्षा की मुख्य धारा में जोड़ चुका हूं. ये सिलसिला आगे भी जारी रहेगा.

आगरा(ब्यूरो)। ये कहना था उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर सगंठन/उत्तर प्रदेश ग्रामीण श्रमिक शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष पंडित तुलाराम शर्मा का। बाल श्रम के खिलाफ उनके योगदान के लिए प्रदेश सरकार की ओर से लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में बाल श्रम निषेध दिवस पर आयोजित कार्यक्रम सम्मानित किया गया।

बच्चों को शिक्षित भी बना रहे
पंडित तुलाराम शर्मा लंबे अरसे से बाल श्रम को रोकने और बच्चों को शिक्षा की धारा से जोडऩे के लिए प्रयासरत हैं। तुलाराम शर्मा ने बताया कि वह अब तक 22980 बच्चों को बाल श्रम से मुक्त करा चुके हैं। इसके बाद इन बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था भी की। इसके साथ ही इसका भी ध्यान रखा कि ये बच्चे दोबारा बाल श्रम की ओर न जाएं। इन बच्चों को खदान, ईंटों के भट्ठे व अन्य कमर्शियल एक्टिविटी से मुक्त कराया गया।

मनरेगा में भी प्रमुख रोल
जो मनरेगा योजना रोजगार उपलब्ध कराने में बड़ी भूमिका निभा रही है, उसमें भी पंडित तुलाराम शर्मा का प्रमुख योगदान है। पंडित तुलाराम शर्मा ने बताया कि 1982 से असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को संगठित करने की प्रेरणा मिली। ऐसे मजदूर जो बिल्डिंग बनाने का काम करते हैं, या पत्थर खदान में काम करते थे। आगरा के कमला नगर में कॉलोनी बन रही थी। वहां एक श्रमिक की निर्माण कार्य करते हुए मृत्यु हो गई। उसका न तो किसी ने उसका इलाज कराया और न हीं किसी ने उसे देखा। उसकी पत्नी भी दर दर की ठोंकर खाने पर मजबूर थी। उस समय संकल्प लिया कि सरकार से एक ऐसी मांग उठाई जाए,कि जब सरकार सरकारी कर्मचारियों को अनेक सुविधाएं देती है, तो इन श्रमिकों को भी ऐसी सुविधाएं दिलाई जाएं।

चार पदयात्रा कीं
वर्ष 1970 में महाराष्ट्र सरकार ने ग्रामीण मजदूरों के लिए रोजगार गारंटी योजना लागू की। इसके बाद हमने मांग उठाई कि ये योजना भारत के एक राज्य में ही क्यों, इसे अन्य राज्यों में भी लागू किया जाए। इस योजना को उत्तर प्रदेश में लागू कराने के लिए 2100 किलोमीटर की 4 पदयात्रा की और 10 लाख मजदूरों के हस्ताक्षर एकत्र किए। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को ये मांग पत्र सौंपा। उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण श्रमिक आयोग बनाया।

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