Saturday, January 4, 2025
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Panchayat Raj Department Is Kind To The Heads In The Street Light Scam – Agra News

by amitsagar
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Panchayat Raj Department is kind to the heads in the street light scam

स्ट्रीट लाइटें।

विस्तार


मैनपुरी में ग्राम पंचायतों ने स्ट्रीट लाइटें लगाने में बड़ा फर्जीवाड़ा किया। अब पंचायतराज विभाग की जिम्मेदारी थी कि वह मामले की जांच के बाद कार्रवाई करता। बजाय जांच और कार्रवाई के विभाग ने दूसरा ही फर्जीवाड़ा रच दिया। पंचायतीराज अधिनियम के अनुसार ग्राम पंचायत में किसी भी कृत्य के लिए प्रधान और सचिव बराबर के जिम्मेदार हैं। इसके बाद भी नियम विरुद्ध तरीके से पूरी जांच में प्रधानों को साफ बचा दिया गया।

स्ट्रीट लाइटों में होने वाले गबन के चलते ही पंचायत राज विभाग ने इस पर रोक लगा दी थी। लेकिन पंचायत प्रतिनिधियों की उठती मांग और गांवों की गलियों को रोशन करने के लिए शासन ने 2021 में ये रोक हटा दी थी। इसके अनुसार लाइटों के रेट और कंपनियां निर्धारित कर दी गई थीं। लेकिन ग्राम प्रधान और सचिवों ने इसमें जमकर फर्जीवाड़ा किया। वर्ष 2023 में तत्कालीन सीडीओ विनोद कुमार ने मामले की जांच तत्कालीन आचार्य ग्राम्य विकास संस्थान धीरेंद्र कुमार यादव से कराई थी। रिपोर्ट में 100 से अधिक ग्राम पंचायतों में मानक विहीन लाइटें लगाकर फर्जीवाड़ा करने का मामला सामने आया था।

सीडीओ के स्थानांतरण के बाद पहले तो जांच की फाइल ही दबा दी गई। वहीं अब अमर उजाला द्वारा मामला उजागर करने पर दोबारा से फाइल खुल गई है। इसमें भी पंचायत राज विभाग एक नया फर्जीवाड़ा कर रहा है। इसमें ग्राम प्रधानों को साफ बचा दिया गया है। केवल पंचायत सचिवों से ही नोटिस देकर जवाब मांगा गया है। पंचायत राज अधिनियम के अनुसार ग्राम पंचायत में भुगतान के लिए ग्राम प्रधान और पंचायत सचिव को संयुक्त रूप से अधिकार प्राप्त है। वहीं गबन और कार्रवाई के मामले में भी दोनों ही जिम्मेदार हैं। लेकिन पंचायत राज विभाग की नजर में न तो पंचायत राज अधिनियम का कोई मोल है और न ही सरकारी धनराशि के दुरुपयोग की कोई चिंता। अगर जल्द ही बड़े अधिकारियों ने ध्यान न दिया तो ये मामला एक नए फर्जीवाड़े के रूप में सामने आएगा।

डीपीआरओ के पास नहीं है कोई जवाब 

मामले में जब डीपीआरओ तुलसीराम विश्वकर्मा से दो टूक बात की गई तो वे उनका जवाब देने के बजाय बातों को घुमाते नजर आए। उनका कहना था कि जांच उनकी तैनाती से पूर्व हुई थी, तभी प्रधानों को नोटिस नहीं भेजे गए। उनके अनुसार सचिवों पर कार्रवाई के बाद ही उक्त फाइल बंद हो जाएगी।

इन 11 कंपनियों की लाइटें लगाने की ही थी अनुमति

गांवों में लाइटें लगाने में फर्जीवाड़ा न हो इसके लिए अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने 12 नवंबर 2021 को स्पष्ट शासनादेश जारी किया था। इसके अनुसार केवल 11 कंपनियों की लाइटें लगाने की अनुमति दी गई थी। इसमें बजाज, सिस्का, क्रॉम्पटन, ऑरिएंट, विप्रो, फिलिप्स, हैवेल्स, पैनासोनिक, सूर्या, हैलोनिक्स और एवरेडी कंपनियां शामिल थीं।

सवाल जिनके नहीं हैं जवाब

-स्ट्रीट लाइटें लगाने में गबन की फाइल क्यों दबा दी गई

-फाइल दोबारा खुलने के बाद भी कार्रवाई धीमी क्यों है

-ग्राम प्रधानों को मामले में क्यों बचाया जा रहा है

-सरकारी धनराशि के दुरुपयोग की रिकवरी क्यों नहीं

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