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कासगंज। श्राद्ध पूर्णिमा के मौके पर शनिवार को सोरोंजी तीर्थनगरी की हरि की पौड़ी, लहरा, कछला, कादरगंज, शहबाजपुर गंगा घाटों पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु पितरों के तर्पण को पहुंचे। श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर विधि विधान से पितरों का स्मरण कर जलदान करते हुए तर्पण किया। तर्पण करके पितरों को भोग अर्पित करते हुए ब्राह्मणों को भोज कराया और उन्हें उपहार वितरित किए।
राजस्थान, मध्यप्रदेश व आस पास के जनपद के श्रद्धालु बड़ी संख्या में तीर्थनगरी और अन्य गंगा घाटों पर पहुंचे। सोमवार को शनिवार से पितृपक्ष पूर्णिमा तिथि से शुरू हो गया। यह श्राद्ध का पहला दिन था। परंपराओं के अनुसार दिवंगत पितरों की आत्मिक शांति और मोक्ष के लिए तर्पण और श्राद्घ किया जाता है। ज्यादातर लोग इस परंपरा का निर्वहन करते हैं। गंगा स्नान कर तर्पण करने के लिए इन्हीं मान्यताओं के चलते हजारों की संख्या में श्रद्धालु गंगा घाटों पर जुटे। श्रद्धालुओं की भीड़ का दबाव लगातार गंगा घाटों पर दोपहर तक बना रहा है। सूर्योदय के साथ ही तर्पण का कार्य शुरू हो गया। हाथों में कुशा लेकर श्रद्धालुओं ने तर्पण किया। गंगा के मध्य में लगातार लोग तर्पण करते नजर आए। गंगा घाटों पर पितरों के प्रति श्रद्धा का अनूठा मंजर बना हुआ था। लोगों ने पितरों की स्मृति में गरीबों, भिक्षुओं को दान दक्षिणा दी और भोजन कराया। ब्राह्मणों, आचार्यों से श्राद्घ पूजा के अनुष्ठान कराए और दान दक्षिणा दी। हरि की पौड़ी के घाटों पर जगह जगह हुई श्राद्ध पूजा सोरोंजी। श्राद्ध पक्ष की पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने पितरों को याद कर जलदान किया। विद्वान आचार्यों के निर्देशन में श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से हरि की पौड़ी के घाटों पर पितरों का तर्पण किया। पितरों की आत्मिक शांति के लिए विधि विधान से श्राद्ध पूजा एवं धार्मिक अनुष्ठान कराए गए। तमाम श्रद्धालुओं ने मुंडन कराकर हरि की पौड़ी में स्नान किया और तर्पण किया। आचार्यों और तीर्थ पुरोहितों को दान दक्षिणा देकर आर्शीवाद लिया। हरि की पौड़ी की परिक्रमा कर श्रद्धालुओं ने परिक्रमा मार्ग पर बैठे जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्रों का दान किया। भगवान वराह व गंगा मईया के जयघोष सुनाई देते रहे।
महात्माओं के लिए अन्न क्षेत्र चलाया।
कासगंज। श्राद्ध पूर्णिमा के मौके पर शनिवार को सोरोंजी तीर्थनगरी की हरि की पौड़ी, लहरा, कछला, कादरगंज, शहबाजपुर गंगा घाटों पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु पितरों के तर्पण को पहुंचे। श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर विधि विधान से पितरों का स्मरण कर जलदान करते हुए तर्पण किया। तर्पण करके पितरों को भोग अर्पित करते हुए ब्राह्मणों को भोज कराया और उन्हें उपहार वितरित किए।
राजस्थान, मध्यप्रदेश व आस पास के जनपद के श्रद्धालु बड़ी संख्या में तीर्थनगरी और अन्य गंगा घाटों पर पहुंचे। सोमवार को शनिवार से पितृपक्ष पूर्णिमा तिथि से शुरू हो गया। यह श्राद्ध का पहला दिन था। परंपराओं के अनुसार दिवंगत पितरों की आत्मिक शांति और मोक्ष के लिए तर्पण और श्राद्घ किया जाता है। ज्यादातर लोग इस परंपरा का निर्वहन करते हैं। गंगा स्नान कर तर्पण करने के लिए इन्हीं मान्यताओं के चलते हजारों की संख्या में श्रद्धालु गंगा घाटों पर जुटे। श्रद्धालुओं की भीड़ का दबाव लगातार गंगा घाटों पर दोपहर तक बना रहा है। सूर्योदय के साथ ही तर्पण का कार्य शुरू हो गया। हाथों में कुशा लेकर श्रद्धालुओं ने तर्पण किया। गंगा के मध्य में लगातार लोग तर्पण करते नजर आए। गंगा घाटों पर पितरों के प्रति श्रद्धा का अनूठा मंजर बना हुआ था। लोगों ने पितरों की स्मृति में गरीबों, भिक्षुओं को दान दक्षिणा दी और भोजन कराया। ब्राह्मणों, आचार्यों से श्राद्घ पूजा के अनुष्ठान कराए और दान दक्षिणा दी। हरि की पौड़ी के घाटों पर जगह जगह हुई श्राद्ध पूजा सोरोंजी। श्राद्ध पक्ष की पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने पितरों को याद कर जलदान किया। विद्वान आचार्यों के निर्देशन में श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से हरि की पौड़ी के घाटों पर पितरों का तर्पण किया। पितरों की आत्मिक शांति के लिए विधि विधान से श्राद्ध पूजा एवं धार्मिक अनुष्ठान कराए गए। तमाम श्रद्धालुओं ने मुंडन कराकर हरि की पौड़ी में स्नान किया और तर्पण किया। आचार्यों और तीर्थ पुरोहितों को दान दक्षिणा देकर आर्शीवाद लिया। हरि की पौड़ी की परिक्रमा कर श्रद्धालुओं ने परिक्रमा मार्ग पर बैठे जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्रों का दान किया। भगवान वराह व गंगा मईया के जयघोष सुनाई देते रहे।
महात्माओं के लिए अन्न क्षेत्र चलाया।
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