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आगरा में एडीए, आवास विकास, यूपीएसआईडीसी, नगर निगम व निजी बिल्डरों की 10573 संपत्तियां बिना रजिस्ट्री बिक गईं। कब्जापत्र व एग्रीमेंट की आड़ में 165 करोड़ रुपये की स्टांप चोरी की गई। 22 अगस्त को कमिश्नर अमित गुप्ता ने राजस्व की समीक्षा में ऐसे बिल्डरों के विरुद्ध एफआईआर के आदेश दिए थे, लेकिन 10 दिन बाद भी प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि बिल्डरों पर एफआईआर और संपत्तियों का पंजीकरण कब होंगी।
100-100 रुपये के स्टांप पर बेंची संपत्तियां
सबसे ज्यादा स्टांप चोरी प्राइवेट बिल्डर्स व कॉलोनाइजर्स ने आवासीय व व्यावसायिक भवन, अपार्टमेंट की बिक्री में की। बिल्डर्स ने 3983 संपत्तियां सिर्फ कब्जापत्र व 100-100 रुपये के स्टांप पर एग्रीमेंट के माध्यम से बेच दीं। इनमें 122.55 करोड़ रुपये की स्टांप चोरी की गई। इनके अलावा विकास प्राधिकरण की विभिन्न योजनाओं में बिल्डरों ने की। एडीए में 3688 संपत्तियों में 34.42 करोड़ रुपये का स्टांप नहीं मिला। आवास विकास परिषद की 2302 संपत्तियों में 1.68 करोड़ रुपये, यूपीएसआईडीसी की 25 औद्योगिक संपत्तियों में 1.23 करोड़ रुपये का स्टांप शुल्क अदा नहीं किया गया है।
नगर पालिकाओं, मत्स्य विभाग, नगर निगम व अन्य सरकारी संस्थाओं की 10573 संपत्तियों में कुल 165 करोड़ रुपये का स्टांप घोटाला हुआ है। जिसके संबंध में कमिश्नर अमित गुप्ता ने सख्त नाराजगी व्यक्त करते हुए डीएम प्रभु एन सिंह को बिना स्टांप शुल्क दिए संपत्तियां बेचने वाले बिल्डरों के विरुद्ध एफआईआर के आदेश दिए थे, लेकिन 10 दिन बाद भी प्रशासन खाली हाथ है।
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