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इसी तरह तीन चुनावों में चार बार महिला प्रत्याशी भी लड़ीं, लेकिन जीत का ताज इनसे कोसों दूर रहा। 2004 के उपचुनाव में जहां कांग्रेस के टिकट पर सुमन चौहान ने चुनाव लड़ा था तो वहीं 2009 में भाजपा से तृप्ति शाक्य और और 2014 में बसपा से डॉ. संघमित्रा मौर्या और निर्दलीय प्रत्याशी राजेश्वरी देवी ने चुनाव लड़ा था।
इस बार यह तय है कि 2022 के उपचुनाव में दशकों से चली आ रहीं एक रीति टूटकर रहेगी। दरअसल अगर भाजपा प्रत्याशी रघुराज सिंह शाक्य जीतते हैं तो शाक्य प्रत्याशी के न जीतने की रीति टूट जाएगी। वहीं अगर सपा प्रत्याशी डिंपल यादव जीतती हैं तो महिला प्रत्याशी के न जीतने की रीति टूटेगी।
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