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26 सितंबर से शारदीय नवरात्रि आरंभ
– फोटो : अमर उजाला
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शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर यानि आज से शुरू हो रहे हैं। नौ देवियों की उपासना से पहले घटस्थानपना होती है। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस बार172 साल बाद सोमवार को नवरात्रि का हस्त नक्षत्र, शुक्ल व ब्रह्म योग, कन्या राशि का चंद्र व कन्या ही राशि के सूर्य में आनंदादि महायोग, श्रीवत्स योग में आरंभ होगा। घर-घर में घट स्थापना के साथ माता की आराधना शुरू होगी। इसके साथ ही शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त ( Navratri ghatsthapna muhurt)
ज्योतिषाचार्य शिवशरण पाराशर ने बताया कि इससे पहले यह योग 1850 में बना था। मां का आगमन हाथी पर होगा, जो समृद्धि व खुशहाली का प्रतीक है। सोमवार को सुबह 6.30 से 7.30 बजे तक अमृत बेला, 9.30 से 11.00 बजे तक शुभ बेला, दोपहर 12.05 से 12.53 बजे तक अभिजीत बेला, 12.40 से 2.45 बजे तक धनु लग्न में पूजन एवं घट स्थापना करना श्रेष्ठ रहेगा। ज्योतिषाचार्य पूनम वार्ष्णेय ने बताया कि श्री दुर्गा सप्तशती के अनुसार मां शैलपुत्री भय को दूर करने वाली माता हैं। नवरात्रि में मां आदिशक्ति के भक्त उन के नौ रूपों की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करते हैं।
पूजा विधि ( Navratri puja vidhi)
नवरात्रि के दिनों में प्रतिदिन छोटे से यज्ञ कुंड में आम की लकड़ी पर हवन सामग्री में देसी घी, काले, तिल, जौ, सूखा नारियल मिलाकर देवी के मंत्रों से हवन करना चाहिए। नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा प्रेम भक्ति और श्रद्धा से करना चाहिए उनको सफेद या पीली वस्त्र, बर्फी, मीठा दूध, किशमिश और नारियल का भोग अर्पित करना चाहिए।
घटस्थापना कैसे करें?
नवरात्रि के पहले दिन मां की अष्टभुजी प्रतिमा या फोटो को सुंदर चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित करें मां को वस्त्र आभूषणों से केसर चंदन से से शृंगार करें मां को पुष्प माला पहनाएं चौकी के आगे एक कलश स्थापित करें और उसमें वरुण देवता का आवाहन करें मिट्टी के बर्तन में जो वो दे मां को फल नैवेद्य दूध मिष्ठान का भोग लगाएं। धूप दीप से आरती करें।
कलश स्थापना की पूजन सामग्री
कलश स्थापना के लिए मिट्टी का एक बर्तन, कलश, सूखा नारियल, माता के श्रृंगार की सामग्री, चुनरी, कलावा, सात तरह के अनाज, कलावा, गंगाजल, अशोक या आम के पत्ते, फूल और माला, लाल रंग का कपड़ा, मिठाई, सिंदूर और दूर्वा आदि।
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