Saturday, January 4, 2025
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Mysterious Mosque: There Is A Mosque In Agra Which Will Give You Goosebumps After Knowing About It.

by amitsagar
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Agra news: रहस्यमयी मस्जिद: आगरा में एक मस्जिद ऐसी भी जिसके बारे में जानकर आपके रोंगटे खड़े 



By: Inextlive | Updated Date: Wed, 10 Apr 2024 00:32:46 (IST)




ताजनगरी में वैसे तो हर कदम पर आर्किटेक्चर का नमूना देखने को मिल जाएगा. मोहब्बत की मिसाल ताजमहल की संरचना तो दुनिया के लिए अजूबा बन चुकी है. इन ऐतिहासिक और प्राचीन मुगलिया इमारत से कई किस्से और कहानियां भी जुड़े हुए हैं. लेकिन, आज हम आपको आगरा की एक ऐसी मस्जिद के बारे में बताने जा रहे हैं,

आगरा(ब्यूरो)। जहां सैकड़ों की तादाद में बिल्लियां आज भी रहती हैं। मान्यता है कि अगर आपको किसी भी तरह की कोई परेशानी है तो उसे एक कागज पर लिखकर इस मस्जिद में छोड़ जाइए। आपकी मुराद पूरी हो जाएगी। यह संदली मस्जिद आगरा ताजमहल के पूर्वी गेट के सामने है।

100 से अधिक बिल्लियां
ताज के पूर्वी गेट से दशहरा घाट की ओर चंद कदम चलने पर ही एक टीले की ओर लाल पत्थर की सीढ़ी जा रहीं हैं। सीढिय़ों से टीले पहुंचने पर बिल्लियां दिखना शुरू हो जाती हैं। कोई बिल्ली पेड़ की छांव में आराम फरमा रही थी, तो कोई टहल रही थी। तभी एक युवक दूध की थैली लेकर पहुंचता है। मस्जिद परिसर में रखे मिट्टी के बर्तन में दूध डालता है और आओ-आओ की आवाज लगाता है। मस्जिद परिसर की हर दिशा में बैठीं बिल्लियां दूध के बर्तन की ओर तेजी से पहुंचती हैं। कुछ ही समय में यहां 30 से अधिक बिल्लियां दिखाई देने लगती हैं। स्थानीय युवक ने बताया कि मस्जिद परिसर में 100 से अधिक बिल्लियां हैं।

साथ रहते हैं कुत्ता, बिल्ली, बंदर
एनिमल बिहेवियर के विपरीत तस्वीर भी मस्जिद परिसर में देखने को मिलती हैंं। जहां कुत्ता-बिल्ली और बंदर का बैर देखने को मिलता है। सभी एक-दूसरे को देखने ही हमलावर हो जाते हैं। वहीं मस्जिद परिसर में अलग ही नजारा दिखता है। सभी एक-दूसरे के साथ रहते हैं। खेलते हैं, लेकिन कोई किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता।

शाहजहां की पहली बेगम की याद में बनवाया
संदली मस्जिद को शाहजहां की पहली बेगम कंधारी बेगम की याद में बनवाया गया था। इसी परिसर में कंधारी बेगम की मजार भी है। जहां कंधारी बेगम को दफनाया गया था। कहा जाता है कि शाहजहां की सबसे बड़ी बेगम कंधारी को भोग विलास का जीवन जीना पसंद नहीं था। इसी वजह से शाहजहां इन्हें बेहद कम पसंद करते थे। उन्हें जानवर से बेहद प्रेम था। इसी वजह से आज भी उनकी मजार और पूरे मस्जिद परिसर में कुत्ता, बिल्ली, बंदर एक साथ बड़े प्रेम से रहते हुए आपको देखने को मिल जाएंगे।

मस्जिद का इतिहास
क ंधारी बेगम सफवीद राजकुमार सुल्तान मुजफ्फर हुसैन मिर्जा सफवी की सबसे छोटी बेटी थी। उस परिवार से थी, जिसे फारस के सफविद राजवंश, मस्जिद के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। कंधारी ने 1609 में 15 साल की उम्र में शाहजहां से शादी की थी। शाहजहां की पहली पत्नी कंधारी बेगम की मौत 1666 में हुई और उन्हें संदली मस्जिद परिसर में दफनाया गया। आज भी उनकी मजार यहां मौजूद है। उनकी दूसरी और तीसरी पत्नियों, फतेहपुरी बेगम और सरहिंदी बेगम को ताजमहल के अंदर (मुख्य मकबरे में नहीं, बल्कि स्मारक के द्वार के पास) दफनाया गया था। कंधारी बेगम को स्मारक के बाहर दफनाया गया था।

खत लिखकर मांगते हैं मन्नत
इस मस्जिद परिसर में बनी कंधारी बेगम की मजार पर लोग अपनी समस्याओं के खत छोड़कर जाते हैं, मन्नत के धागे बांधते हैं। ऐसी मान्यता है कि अगर किसी के ऊपर केस चल रहा हो या किसी का कोई सगा संबंधी जेल में बंद हो और जमानत नहीं मिल रही हो, तो यहां पर लोग अपनी परेशानी खत लिख कर बांध जाते हैं। कुछ दिनों बाद उनकी समस्याएं खत्म हो जाती हैं।

जिन्नातों का है साया
स्थानीय लोगों ने बताया कि जिन लोगों के ऊपर बाहरी साया होता है। उसका भी इलाज शुक्रवार को इस मजार पर किया जाता है। परिसर में सैकड़ों बिल्लियां रहती हैं और इन बिल्लियों के ऊपर जिन्नातों का साया माना जाता है। स्थानीय लोगों का यह भी मानना है कि अगर आप मुराद मांगते हैं और बिल्लियों को खाना खिलाते हैं तो आपकी मुराद कबूल की जाएगी। हर धर्म के लोग इस मजार पर माथा टेकने के लिए आते हैं।

कई नामों से पहचान
काली मस्जिद, संदली मस्जिद, जिन्नातों की मस्जिद और चंदन मस्जिद। ये सभी नाम एक ही मस्जिद के हैं। मस्जिद का इतिहास देखते हुए ये एएसआई प्रोटेक्टेड मॉन्यूमेंट्स है। एएसआई की ओर से इसका संरक्षण कार्य किया जाता है।

मस्जिद को लेकर लोगों के बीच में तमाम तरह की चर्चाएं हैं। जिन्नातों का साया की बात अंधविश्वास लगती है। लेकिन ये शाही मस्जिद है। यहां की मान्यता है। लोग मन्नत का धागा बांधकर जाते हैं।
जियाउद्दीन, स्थानीय निवासी

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